गुजरात :अंतरराष्ट्रीय छवि, सभी धर्मों का आदर की क्यों उठ रही बात, 6 प्वाइंट में समझें पूरा मामला

अहमदाबाद में गुजरात यूनिवर्सिटी हॉस्टल में घुसकर जिस तरह स्थानीय निवासियों की भीड़ ने नमाज पढ़ रहे विदेशी छात्रों पर हमला किया, वह घटना तो गंभीर है ही, उससे निपटने के तरीकों से जुड़ी शुरुआती सूचनाएं भी कुछ सवाल खड़े करती हैं।बुनियादी तथ्य : यह देश की अंतरराष्ट्रीय छवि से जुड़ी संवेदनशील घटना है। सबसे पहले घटना से जुड़े बुनियादी तथ्यों को समझने की जरूरत है। शुरुआती सूचनाओं के मुताबिक हमलावर भीड़ बाहर से आई थी। जिन विदेशी छात्रों पर हमला हुआ वे अपने कमरे से बाहर, लेकिन हॉस्टल परिसर के अंदर नमाज पढ़ रहे थे। भीड़ ने उन्हें रोकते हुए कहा कि नमाज पढ़ना है तो मस्जिद में जाएं। इसके बाद दोनों पक्षों में कहा-सुनी हुई और भीड़ ने कमरों में घुसकर तोड़फोड़ की।तुरंत गिरफ्तारी : अच्छी बात है कि पुलिस ने कार्रवाई में तेजी दिखाई। दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और पुलिस का कहना है कि बाकी आरोपियों को भी जल्दी ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस मामले के मद्देनजर न सिर्फ राज्य के गृहमंत्री ने पुलिस के आला अधिकारियों के साथ बैठक की बल्कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी अतिरिक्त सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कदम उठाए।घटना की पृष्ठभूमि : फिर भी कुछ बातें गौर करने की हैं। गुजरात यूनिवर्सिटी में स्टडी एब्रॉड प्रोग्रैम (SAP) 2005 से ही चल रहा है, लेकिन इस तरह की यह पहली घटना है। जैसा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन का भी कहना है कि ऐसी घटना रातों-रात नहीं हो सकती। निश्चित रूप से इसकी पृष्ठभूमि पहले से तैयार हो रही होगी। आगे ऐसी घटना फिर से न हो, इसके लिए उन हालात पर भी विचार करना जरूरी है, जो इसके लिए जिम्मेदार हैं।सही नजरिया जरूरी : इस तरह की जांच सही नजरिए के साथ किए जाने की जरूरत है, तभी सही नतीजे मिलेंगे। यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से मीडिया में आए कुछ बयानों में कहा गया है कि विदेशी छात्रों को सांस्कृतिक तौर पर ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है। ऐसा बयान न सिर्फ अनावश्यक है बल्कि जांच की सही दिशा को लेकर भ्रम भी पैदा कर सकता है। ध्यान रहे, इस घटना में विदेशी छात्रों की तरफ से किसी तरह के उकसावे का कोई संकेत नहीं मिलता। यह सूचना भी महत्वपूर्ण है कि हॉस्टल परिसर में कोई मस्जिद नहीं है।अति संवेदनशीलता : देश के अंदर कुछ हिस्सों में पिछले कुछ समय से धर्म को लेकर जिस तरह की असहिष्णुता और अति संवेदनशीलता दिख रही है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पहली नजर में यह घटना उसी का एक उदाहरण लगती है।सर्व धर्म, सम भाव : कानून व्यवस्था से जुड़ी एजेंसियों को तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के जरिए इस मामले को मिसाल के रूप में पेश करना ही चाहिए, राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं को भी अपने स्तर पर सक्रिय हस्तक्षेप के जरिए यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि समाज में सभी धर्मों का आदर करने की भावना कमजोर न हो।