1982 की वो रात जब दो साल के वरुण गांधी को गोद में लेकर… मेनका को इंदिरा गांधी ने घर से निकाला था

अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: देश की राजनीति में गांधी परिवार का बड़ा योगदान रहा है, लेकिन 28 मार्च 1982 की आधी रात को गांधी परिवार के दो फाड़ हो गए थे। पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने छोटे बेटे संजय गांधी की पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया था। उस समय वरुण गांधी महज दो साल के थे। वरुण गांधी की गिनती फायरब्रांड नेताओं में होती है और मौजूदा समय में वरुण पीलीभीत सीट से बीजेपी सांसद हैं। इंदिरा गांधी और मेनका गांधी के बीच लड़ाई की वजह कहीं न कहीं संजय गांधी की राजनीतिक उत्तराधिकरी होना बताया जा रहा है। राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर बढ़ी नाराजगीइंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी का कांग्रेस की राजनीति में बड़ा योगदान था। पार्टी के हर छोटे-बड़े फैसलों पर संजय गांधी पर्दे के पीछे से काम किया करते थे। उस समय संजय के बड़े भाई राजीव गांधी का राजनीति से कोई वास्ता नहीं था, लेकिन 1980 में संजय गांधी की मौत एक विमान हादसे में हो गई थी। जिसके बाद गांधी परिवार में नाराजगी का दौर शुरू हुआ। जानकारी के मुताबिक, गांधी परिवार की मुखिया एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मेनका गांधी को संजय गांधी का राजनीतिक उत्तराधिकारी न चुनकर संजय के बड़े भाई राजीव गांधी को राजनीति में ले आई थीं। इस बात से संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी नाराज हो गई थीं। इंदिरा गांधी के मना करने पर भी मेनका ने की थी जनसभाहर छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई होने के कारण बात इतनी बढ़ गई थी कि साल 1982 में संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी को गांधी परिवार से निकाल दिया गया था। उस समय सास इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। वो विदेश दौरे पर थीं। उधर, मेनका ने परिवार से नाराजगी के चलते लखनऊ में सभा कर दी थी। इंदिरा ने मेनका को इस सभा को न करने के लिए कड़ी चेतावनी दी थी, लेकिन बावजूद उसके मेनका नहीं मानीं और सभा कर दी। इस बात की जानकारी जब इंदिरा गांधी को हुई तो विदेश से लौटने के बाद दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास का पारा बढ़ गया था।बिना सामान मेनका गांधी को घर से निकालाइंदिरा गांधी 28 मार्च 1982 को विदेश से लौट कर भारत पहुंची थीं। इसके बाद सास इंदिरा और बहू मेनका के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ। सवाल-जवाब के बीच बात इतनी बढ़ गई कि इंदिरा ने मेनका से घर छोड़ने तक के लिए कह दिया था। इस पर मेनका ने घर छोड़कर न जाने की बात भी कही थी, लेकिन इंदिरा गांधी अपने बात पर डटी रहीं। मेनका गांधी ने इस बात की जानकारी अपनी बहन को दी थी। इंदिरा ने मेनका को बिना सामान के घर छोड़कर जाने के लिए कहा था। इस पर मेनका की बहन ने आपत्ति जताई थी। मेनका की बहन ने कहा ये घर संजय गांधी का भी है, उसके जवाब में इंदिरा ने कहा कि ये घर प्रधानमंत्री का है। तब रात करीब 11 बजे मेनका गांधी अपने दो साल के बेटे वरुण गांधी को लेकर घर से चली गई थीं।मेनका ने पहला चुनाव जेठ राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से लड़ामेनका गांधी की 1982 में राजनीति में एंट्री हुई। उन्होंने अपना पहला चुनाव अमेठी संसदीय सीट से जेठ राजीव गांधी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। मेनका 1988 में जनता दल में शामिल हो गई थीं। उन्होंने 1989 में पीलीभीत सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी, लेकिन 1991 चुनाव में उन्हें हार का सामना पड़ा था। 1996 चुनाव में मेनका ने पीलीभीत सीट से जनता दल के प्रत्याशी के रूप जीत दर्ज की थी। 1998 और 1999 में बीजेपी के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पीलीभीत सीट से जीत दर्ज की थी। जिसके बाद मेनका 2004 में बीजेपी में शामिल होने के बाद पीलीभीत से जीत दर्ज की। इसके अलावा 2009 में आंवला, 2014 में पीलीभीत और 2019 में सुल्तानपुर से जीत दर्ज की थी। इस बार मेनका गांधी फिर से सुल्तानपुर सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रही हैं।