इकॉनमी संभालने में कौन रहे बेहतर, मोदी या मनमोहन? जानिए सर्वे में जनता ने किसे चुना

नई दिल्ली : कुछ ही दिन बाद एक फरवरी को () आने वाला है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) यह बजट पेश करेंगी। अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले यह मौजूदा मोदी सरकार (Modi Government) का आखिरी पूर्ण बजट होगा। जब हम मोदी सरकार में इकॉनमी की बात करते हैं, तो 2020, 2021 और 2022 काफी कठिन साल रहे हैं। इस दौरान दुनिया कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक तनावों से जूझती रही। कोरोना महामारी के चलते देश में लॉकडाउन लगा और इसने कारोबारों को काफी नुकसान पहुंचाया। लाखों लोगों की नौकरियां भी चली गईं। जब महामारी कुछ कम हुई तो फरवरी-2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध आ गया इसने सप्लाई चेन को काफी नुकसान पहुंचाया।

कोरोना और युद्ध ने बढ़ाई महंगाई

कोविड और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने महंगाई को काफी अधिक बढ़ा दिया। साथ ही दुनिया के कई हिस्सों में फूड शॉर्टेज हो गई। फ्यूल और कमोडिटीज की कीमतें आसमान पर पहुंच गईं। खास तौर से युद्ध के शुरुआती महीनों में कीमतें काफी बढ़ी हुई थीं। इससे भारत का आयात बिल काफी बढ़ गया। हालांकि, अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में मंदी की आशंका के चलते फ्यूल की कीमतें नीचे आईं।

बढ़ा देश का राजकोषीय घाटा

भारत का राजकोषीय घाटा या देश की आय और व्यय के बीच का अंतर बढ़ गया है। व्यापार घाटा दिसंबर में बढ़कर 23.89 अरब डॉलर (1.94 लाख करोड़ रुपये) हो गया। व्यापार घाटा आयात और निर्यात होने वाले सामानों की कीमतों के बीच का अंतर होता है। रुपये में गिरावट और निर्यात में कमी से व्यापार घाटे में बढ़ोतरी हुई। रुपये की कीमत जुलाई में पहली बार डॉलर के मुकाबले गिरकर 80 रुपये के स्तर को पार कर गई थी। इसमें अभी तक रिकवरी नहीं हुई है। जबकि दिसंबर में निर्यात साल-दर-साल आधार पर 12.2 फीसदी घट गया है।

मोदी ने अच्छे से संभाली इकॉनमी

इंडिया टुडे ने सी वोटर के साथ मिलकर मूड ऑफ द नेशन (MOTN) सर्वे किया है। इस सर्वे में एनडीए सरकार के काम को लेकर देश की जनता का मूड जानने की कोशिश की गई है। इस सर्वे में मोदी और मनमोहन सरकार की तुलना से जुड़े सवाल भी लोगों से किये गए। इस सर्वे में सवाल किया गया, ‘आप की राय में भारतीय अर्थव्यवस्था को किसने अधिक सही तरीके से मैनेज किया?’ इस सवाल के जवाब में 51 फीसदी लोगों ने नरेंद्र मोदी का नाम लिया है। अर्थात 51 फीसदी जनता का मानना है कि मोदी सरकार इकॉनमी को संभालने में ज्यादा कुशल रही। वहीं, 36 फीसदी लोगों ने मनमोहन सिंह का नाम लिया। इसके अलावा 13 फीसदी लोगों ने कहा कि वे इस बारे में कुछ स्पष्ट रूप से नहीं कह सकते।