पेरिस: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 5 साल बाद फ्रांस के दौरे पर पहुंचे हैं। चीनी राष्ट्रपति का यह यूरोप दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब चीन को लेकर पूरे इलाके में तनाव बढ़ा हुआ है। यूरोपीय यूनियन ने पिछले सप्ताह ही चीन के विंड टर्बाइन और मेडिकल उपकरणों की जांच शुरू करवाई है। यही नहीं चीन के सुरक्षा उपकरणों को बनाने वाली कंपनी नूकटेक के कार्यालयों पर छापा मारा है। ऐसी खबरें आई हैं कि चीन ने फ्रांस से अपील की है कि वह यूरोपीय यूनियन को चीन के प्रति ‘सकारात्मक’ और ‘व्यवहारिक’ नीतियों बनाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे। चीन का कहना है कि बीजिंग और पेरिस के बीच राजनयिक रिश्ते के 60 साल पूरे होने पर यह दौरा किया जा रहा है। वहीं विश्लेषकों का कहना है कि यूरोप को साधने के साथ- साथ चीन के निशाने पर भारत भी है जिसने हाल के दिनों में फ्रांस से बड़े पैमाने पर हथियार और फाइटर जेट खरीदा है। दरअसल, फ्रांस इन दिनों भारत के लिए दूसरा रूस बन गया है और बड़े पैमाने पर घातक हथियार और मिसाइलें दे रहा है। भारत ने फ्रांस से राफेल जेट, स्कॉर्पिन पनडुब्बी, हेलिकॉप्टर और कई किलर मिसाइलें हाल के दिनों में फ्रांस से खरीदी हैं। इससे भारत और फ्रांस के बीच रिश्ते अपने शिखर पर पहुंच गए हैं। पीएम मोदी जुलाई 2023 में फ्रांस के दौरे पर गए थे और उसके बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां भारत आए थे। इस दौरान कई रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर हुआ था। यही नहीं भारत और फ्रांस मिलकर आर्मेनिया की मदद कर रहे हैं। फ्रांस ने पीएम मोदी को ग्रेट क्रॉस ऑफ द लेगिआन से सम्मानित किया था। मोदी पहले ऐसे भारतीय पीएम हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। भारत के लिए दूसरा बड़ा हथियार सप्लायर बना फ्रांसभारत और फ्रांस के बीच यूपीआई समझौता हुआ है जो एफिल टॉवर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। आज आलम यह है कि रूस के बाद फ्रांस भारत को हथियार का निर्यात करने वाला दूसरा बड़ा देश बन गया है। अब तक भारत दशकों तक रूस से सबसे ज्यादा फाइटर जेट खरीदता था। विश्लेषकों का कहना है कि भारत और फ्रांस के बीच बढ़ती दोस्ती भी चीनी राष्ट्रपति की पेरिस यात्रा के पीछे एक बड़ी वजह है। वह भी तब जब पीएम मोदी और मैक्रां लगातार दोनों देशों के बीच रिश्ते को मजबूत कर रहे हैं। वहीं फ्रांस चीन के लिए यूरोप का प्रवेश द्वार है। इससे पहले अप्रैल 2023 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने चीन की विवादित यात्रा की थी। इस यात्रा के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा था कि यूरोपीय ब्लॉक को अमेरिका और चीन के बीच संघर्ष में माध्यम नहीं बनना चाहिए। बताया जा रहा है कि जिनपिंग की ताजा फ्रांस यात्रा के दौरान फ्रांसीसी नेता ने उन्हें यूक्रेन युद्ध को लेकर आगाह किया। चीन पर आरोप है कि वह रूस को हथियार बनाने के लिए उपकरणों की सप्लाई कर रहा है। इसको लेकर फ्रांस भड़का हुआ है। फ्रांस ने अपनी सेना को भी पहली बार यूक्रेन में तैनात किया है।