नासा चांद पर चलाएगा ट्रेन, ‘चंद्रमा एक्सप्रेस’ के लिए ऐसे बिछाई जाएगी पटरी, क्यों पड़ी जरूरत

वॉशिंगटन: चांद पर आज के समय दुनिया की प्रमुख स्पेस एजेंसियां जा रही हैं। चीन ने शुक्रवार को चंद्रमा से जुड़ा एक मिशन लॉन्च किया है। वहीं नासा एक बार फिर चंद्रमा पर इंसानों को भेजकर वहां बस्तियां बसाना चाहता है। एक्सपर्ट्स दूसरे ग्रहों पर इंसानों के परिवहन का सबसे अच्छा तरीका खोज रहे हैं। क्योंकि उड़ने वाला परिवहन सिस्टम फेल हो सकता है। चंद्रमा पर ज्यादा दूर तक इंसान जा सकें इसके लिए नासा एक रेलवे सिस्टम बनाना चाहता है। नासा अगर कामयाब हो गया तो चांद पर वह ट्रेन चला सकेगा। हालांकि रेलवे धरती की तरह दो पटरियों वाला नहीं होगा। गोल्फ बग्गी वर्तमान में कम लोगों के लिए ट्रांसपोर्ट का एक अच्छा साधन हो सकता है। लेकिन बड़ी आबादी और चंद्रमा पर होने वाले खनन के ट्रांसपोर्ट में यह कारगर नहीं होगा। इसके लिए बड़े परिवहन की जरूरत है। FLOAT नाम की एक नई टेक्नोलॉजी विकसित की जा रही है। वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि यह चंद्रमा पर मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पेलोड डिलीवरी का विकल्प प्रदान करेगा। नासा ने चुंबक से चलने वाले इस रेलवे की फंडिंग में बढ़ोतरी की है।नासा के हैं कई प्लानयह प्लान किसी साइंस फिक्शन फिल्म की तरह है। FLOAT का मतलब फ्लेक्सिबल लेविटेशन ऑन ए ट्रैक है। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी की ओर से संचालित की जाने वाली यह परियोजना है और इसे नासा के इनोवेटिव एडवांस्ड कॉन्सेप्ट प्रोग्राम अध्ययन के दूसरे चरण में बनाया जा रहा है। दूसरे कॉन्सेप्ट जिनके ऊपर काम किया जा रहा है उनमें एक पल्स्ड प्लाज्मा रॉकेट और एक बड़ी ऑप्टिकल ऑब्जर्वेटरी है। जिस रॉकेट को बनाया जा रहा है उससे पृथ्वी से सौरमंडल में किसी भी जगह तेजी से पहुंचा जा सकेगा।ऐसे काम करेगा चांद पर रेलवेचंद्र रेलवे सिस्टम अगले दशक तक चालू हो सकता है। चंद्रमा पर यह विश्वसनीय, ऑटोमैटिक और कुशल पेलोड परिवहन प्रदान करेगा। यह सतह के चारों और कई टन रेगोलिथ (चंद्रमा की मिट्टी) के ट्रांसपोर्ट में भूमिका निभा सकता है। चांद पर बेस बनाने में चंद्रमा की मिट्टी कई तरह से अंतरिक्ष यात्रियों की ओर से इस्तेमाल की जा सकेगी। नासा के रोबोटिक्स इंजीनियर एथन स्केलर इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं। उनका अनुमान है कि एक दिन में यह 100 टन कार्गो ट्रांसपोर्ट कर सकता है। स्केलर ने कहा, ‘फ्लोट एक लपेटी जा सकने वाली कालीन की तरह होगी। आवश्यक्ताओं के हिसाब से इसे दूसरी जगह ले जाया जा सकेगा।’ उन्होंने आगे बताया कि पहियों, पैरों या पटरियों वाले चंद्रमा रोबोट के विपरीत फ्लोट रोबोटों में कोई हिलने वाला भाग नहीं होगा, और ट्रैक पर उड़ेंगे।