मोदी लहर में भी जेल से चुनाव जीता मुख्तार अंसारी, फिर आखिरी 7 साल अपना साम्राज्य को ढहते देखता रहा

मऊ: मुख्तार अंसारी पर पहली बार 1986 में मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश को ऐसा माफिया मिला, जिसने संगठित अपराध की दुनिया में नई इबारत लिखनी शुरू कर दी। यूपी का पूर्वांचल प्रदेश ही नहीं पूरे देश में अपराध की दुनिया के रूप में कुख्यात होता चला गया। मुख्तार अंसारी का खौफ मऊ ही नहीं आसपास के तमाम जिलों में बोलता था। शूटरों की फौज उसके एक इशारे पर किसी भी जघन्य हत्याकांड को अंजाम दे देती। ये वो दौर था जब राजनेता भी अपराधियों, माफियाओं के आगे शरणागत ही नजर आते थे। मुख्तार धीरे-धीरे सत्ता पर भी अपनी पकड़ बनाता रहा। ये वो दौर था जब बहुजन समाज पार्टी यूपी में तेजी से उभर रही थी। मुख्तार ने पहली बार 1996 में बसपा से टिकट हासिल कर लिया और यहां से उसका राजनीतिक जीवन शुरू हुआ। 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधानसभा पहुंचा। इसके बाद वह मऊ से लगातार जीत हासिल करता रहा। 26 साल के राजनीतिक जीवन में मुख्तार 2017 में आखिरी बार मोदी लहर के बावजूद विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रहा। लेकिन ये उसकी आखिरी जीत साबित हुई। माफिया के लिए बुरा सपना बनी योगी आदित्यनाथ सरकार2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से माफिया के बुरे दिन शुरू हो गए। योगी सरकार ने सत्ता में आते ही अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की अपनी नीति साफ कर दी। एक तरफ मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज मुकदमों की कोर्ट में प्रभावी पैरवी शुरू हुई। दूसरी तरफ माफिया के जुर्म के साम्राज्य को ध्वस्त करने पर एक्शन शुरू हुआ। इसके बाद यूपी में बुलडोजर की गरजना सुनाई देने लगी। जेल में बंद मुख्तार अंसारी यूपी सरकार की ताबड़तोड़ कार्रवाई से सहमा दिखाई देने लगा। लेकिन कानूनी पैंतरे में वह माहिर था। 2019 में बांदा जेल में वह बंद था। उसने अपनी सुरक्षा को खतरा बताते हुए यूपी से बाहर जेल ट्रांसफर की अर्जी लगाई। इसके बाद उसका पंजाब जेल में ट्रांसफर कर दिया गया। लेकिन कुछ समय बाद ही योगी सरकार उसे वापस जेल लाने में जुट गई। लेकिन मुख्तार यूपी वापसी से डरा हुआ था, उसने सुप्रीम कोर्ट तक अपील की। हालांकि आखिरकार यूपी सरकार की जीत हुई और उसे पंजाब से वापस बांदा जेल ले आया गया। लेकिन यहां आने के बाद भी मुख्तार की कोर्ट में तरह-तरह के आरोप और मांगें सामने आती रहीं। वह कभी जेल प्रशासन पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाता, कभी खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाता रहता। लेकिन दूसरी तरफ यूपी सरकार उसके खिलाफ एक्शन में कोई कमी नहीं आई। यूपी सरकार की प्रभावी पैरवी का ही नतीजा रहा कि पिछले डेढ़ साल में मुख्तार अंसारी को सात मामलों में सजा सुनाई गई। इसमें उम्रकैद तक की सजा भी शामिल रही। मुख्तार के खिलाफ कुल 65 मुकदमे दर्ज हैं। उसके गैंग के 292 सहयोगियों के खिलाफ भी ताबड़तोड़ एक्शन हुआ और 160 मुकदमे भी दर्ज किए गए। इनमें से 186 सहयोगियों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज भी चुकी है। वहीं 5 शूटर पुलिस एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं। योगी सरकार में मुख्तार अंसारी के करी 2100 से अधिक अवैध करोबार बंद कराए जा चुके हैं। सरकार के इस जबरदस्त एक्शन में मुख्तार अंसारी से संबंधित 605 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।पूरे अंसारी परिवार पर दर्ज हैं मुकदमेमुख्तार ही नहीं उसके पूरे अंसारी कुनबे पर भी तमाम मुकदमे चल रहे हैं। इनमतें मुख्तार के भाई सिबगतुल्लाह के खिलाफ 3 केस दर्ज हैं। वहीं दूसरे भाई अफजाल अंसारी के खिलाफ 7 मुकदमे दर्ज हैं। इसमें हत्या के एक मुकदमे में सीबीआई जांच चल रही है। इसमें उसकी पत्नी अफशां अंसारी के खिलाफ 11 केस दर्ज हैं। इनमें गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे शामिल हैं। बेटे अब्बास अंसारी जो मऊ सदर से विधायक है। उसके खिलाफ 8 मुकदमे हैं। उसकी पत्नी निखत के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज है। वहीं मुख्तार के दूसरे बेटे उमर के खिलाफ भी धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में 6 केस चलर हे हैं।