क्या एक होने जा रहा है गांधी परिवार, वरुण के टिकट कटने के बाद कांग्रेस के ऑफर से चर्चाएं शुरू?

अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: लोकसभा चुनाव से पहले से ही पीलीभीत से सांसद का टिकट कटने की अटकलें लगाई जा रही थीं। वरुण गांधी अपनी ही पार्टी बीजेपी को लगातार कटघरे में खड़ा कर रहे थे। इसको लेकर पार्टी के अंदर भी उनको लेकर विरोध बढ़ रहा था। होली से पहले रविवार को जारी हुई बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट में उनकी मां को बीजेपी ने सुल्तानपुर से टिकट दिया तो वहीं वरुण गांधी का टिकट काट दिया। उनके स्थान पर जितिन प्रसाद को टिकट दिया है। इसी बीच, मंगलवार को वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर अधीर रंजन ने दिया है। कांग्रेस नेता के ऑफर के बाद से चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि क्या गांधी परिवार एक होने जा रहा है। चाहे एनडीए हो या फिर इंडिया गठबंधन हो, दोनों ही गठबंधनों में गांधी परिवार को तवज्जो मिलती रही है। जी हां, वहीं गांधी परिवार जिसने करीब 70 सालों तक देश की सत्ता पर राज किया है। कांग्रेस 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों परिवारों के एक होने की संभावनाएं लगाई जा रही है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो मेनका गांधी और सोनिया गांधी के धड़ में बंटा गांधी परिवार एक बार फिर एकसाथ आ सकता है। वैसे भी वरुण गांधी के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से अच्छे रिश्ते हैं। वरुण को कांग्रेस अमेठी या रायबरेली सीट से उम्मीदवार बना सकती है।वरुण गांधी का बीजेपी से टिकट कटने के बाद चर्चाएं जोरों परदरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पोते एवं मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी का बीजेपी ने टिकट काट दिया है। वरुण गांधी पीलीभीत से बीजेपी सांसद हैं, लेकिन उनकी बयानबाजी के चलते बीजेपी ने पीलीभीत से वरुण को टिकट न देकर योगी सरकार में मंत्री एवं राहुल गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद को कैंडिडेट बना दिया है। उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन ने वरुण गांधी का टिकट जाने के पीछे उनका गांधी परिवार से संबंध होना बताया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि गांधी परिवार से उनका संबंध है, इसलिए बीजेपी ने उनको टिकट नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि वरुण गांधी कांग्रेस में आ जाएं। अब बीजेपी सांसद वरुण गांधी को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। क्या एक होने जा रहा है गांधी परिवारमेनका गांधी पीलीभीत और सुल्तानपुर सीट से सांसद रह चुकी है और इस समय सुल्तानपुर से सांसद हैं। उनके बेटे वरुण गांधी भी कई बार के सांसद हैं। उनकी पहचान अपनी मां मेनका गांधी की तरह तेजतर्रार नेताओं में होती है। दोनों मां-बेटे इस समय बीजेपी का हिस्सा हैं। मेनका मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रह चुकी हैं, लेकिन इस बार मेनका गांधी परिवार पर बीजेपी ने कैंची चला दी है। बीजेपी ने मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट तो दे दिया है, लेकिन उनके बेटे वरुण गांधी का टिकट काट दिया है। अब वरुण गांधी का राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया है। वरुण के हर एक कदम पर राजनीतिक पंडितों की पैनी नजर है। उधर, कांग्रेस से ऑफर मिलने के बाद वरुण के कांग्रेस में जाने की चर्चाएं भी जोरों से होने लगी हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सोनिया-मेनका का गांधी परिवार एक बार फिर एकसाथ हो सकता है। संजय गांधी की मौत के बाद मेनका हो गई थीं अलगपूर्व पीएम इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की साल 1980 में विमान हादसे में मौत हो गई थी। संजय की मौत के बाद से गांधी परिवार में लड़ाई की शुरुआत हो गई थी। जो करीब दो साल बाद 28 मार्च 1982 को अपने अंजाम पर पहुंच गई थी। सास इंदिरा गांधी ने मेनका गांधी को इस दिन गांधी परिवार से अलग कर दिया गया था। संजय गांधी के निधन के बाद मेनका गांधी ने राजनीति में एंट्री कर दी थी। मेनका गांधी ने अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ ताल ठोका था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। फिर मेनका 1988 में जनता दल में शामिल हो गईं। 1989 में मेनका ने पीलीभीत से जीत दर्ज की थी। मेनका गांधी कई बार सांसद रह चुकी है। इस बार भी सुल्तानपुर से बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ने जा रही हैं।