नई दिल्ली: अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research की एक रिपोर्ट से अडानी ग्रुप (Adani Group) में हड़कंप मचा हुआ है। ग्रुप के शेयरों में करीब 60 फीसदी तक गिरावट आई है। ग्रुप के मार्केट कैप में 100 अरब डॉलर से अधिक गिरावट आई है। अडानी ग्रुप की कुल 10 लिस्टेड कंपनियां हैं। इनमें देसी-विदेशी निवेशकों का पैसा लगा है। अडानी ग्रुप में मचे हड़कंप ने निवेशकों में खलबली मची हुई है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट की मानें तो जिन निवेशकों के पास अडानी ग्रुप के बॉन्ड हैं, वे फाइनेंशियल एडवाइजर्स और लीगल एक्सपर्ट का रुख कर रहे हैं। साथ ही नए निवेशकों को भी इसमें अवसर दिख रहा है और वे भी अडानी ग्रुप की कंपनियों के बारे में इनक्वायरी कर रहे हैं।
अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज ने बॉन्ड्स के जरिए 10 अरब रुपये जुटाने की योजना बनाई थी लेकिन शेयरों में आई भारी गिरावट के कारण उसने इससे किनारा कर लिया है। इससे पहले कंपनी ने अपना 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ (FPO) वापस ले लिया था।अडानी ग्रुप की कई कंपनियों के बॉन्ड्स में हाल में काफी गिरावट आई है। अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनमिक जोन लिमिटेड (APSEZ) के अगस्त 2027 में मैच्योर होने वाले बॉन्ड्स में करीब 71 सेंट तक गिर गया था जबकि अडानी ग्रीन एनर्जी के सितंबर 2024 मैच्योरिटी वाला बॉन्ड एक समय 64 सेंट तक गिर गया था। हालांकि अब इनमें सुधार आया है।
बॉन्डहोल्डर्स अडानी ग्रुप की कंपनियों के कैपिटल स्ट्रक्चर के बारे में जानकारी ले रहे हैं। साथ ही वे यह जानकारी भी ले रहे हैं कि अगर अडानी ग्रुप का संकट गहराया तो उनके बॉन्ड्स पर क्या असर होगा। हालांकि अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। इस बीच Goldman Sachs Group Inc के स्ट्रैटजिस्ट्स का कहना है कि अडानी ग्रुप की कंपनियों पर आए संकट के कारण भारत की दूसरी कंपनियों के प्रभावित होने की आशंका नहीं है।
क्यों मचा है हड़कंप
बॉन्डहोल्डर्स अमूमन तभी वकीलों, बैंकर्स और एडवाइजर्स का रुख करते हैं जब किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति डगमगा जाती है। अगर कंपनी कर्ज का भुगतान करने में नाकाम रहती है तो वे अपने संभावित नुकसान और इससे बचने के उपाय खोजने लगते हैं। इसका कई तरह का समाधान हो सकता है। कंपनी क्रेडिटर्स को पेनल्टी माफ करने के लिए कह सकती है। बॉन्ड या लोन वापस खरीद सकती है या आसान शर्तों के साथ इसे नए कर्ज के साथ स्वैप किया जा सकता है। इससे वकीलों और फाइनेंशियल एडवाइजर्स की चांदी हो रही है।
Hindenburg Research की 24 जनवरी को आई एक रिपोर्ट में दावा किया था कि अडानी ग्रुप दशकों से खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और अकाउंट धोखाधड़ी में शामिल रहा है। हालांकि अडानी ग्रुप ने इस रिपोर्ट को झूठ का पुलिंदा बताते हुए इसे भारत के खिलाफ साजिश करार दिया था। लेकिन इस रिपोर्ट के आने के बाद से ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है। ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ में 50 अरब डॉलर की गिरावट आई है और वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में तीसरे से फिसलकर 21वें स्थान पर आ गए हैं।