विपक्ष की महारैली को सफल बनाने में जी-जान से जुटी कांग्रेस, लेकिन असमंजस में क्यों समर्थक?

नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने इंडिया गठबंधन के घटक दलों को फिर से एकजुट होने पर मजबूर कर दिया है। अपने तमाम राजनीतिक मतभेदों और लोकसभा चुनाव के लिए राज्यों में सीट बंटवारा नहीं हो पाने के बावजूद सभी विपक्षी दल एक मंच पर आने के लिए तैयार हैं। (आप) भी केजरीवाल की गिरफ्तारी के मुद्दे पर जनता के बीच सहानुभूति की लहर पैदा करने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। यह मुद्दा लड़खड़ा चुके विपक्ष को संभालने में कितना कारगर साबित होगा, इसका परीक्षण 31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली महारैली में हो जाएगा। इस रैली की सफलता या विफलता विपक्ष की आगे की राह तय करेगी। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी रैली को सफल बनाने का भरपूर प्रयास कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा है कि इस रैली में एक लाख से भी अधिक लोगों की भीड़ जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने दावा किया कि यह अभूतपूर्व रैली होगी, जो 2024 के लोकसभा चुनाव को एक नई दिशा देगी। वहीं, कांग्रेस पार्टी इस महारैली के जरिए आप और केजरीवाल के प्रति उपजी संभावित सहानुभूति का फायदा उठाने की कोशिश में है। आप ने बनाई त्रिस्तरीय प्रणालीरैली को सफल बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियां चल रही हैं? इस बारे में गोपाल राय ने बताया कि हमने तैयारी के लिए थ्री लेयर सिस्टम बनाया है। आम आदमी पार्टी के जितने भी विधायक, पार्षद और विधानसभा के पदाधिकारी हैं, उनकी एक-एक टीम बनाई है, जो सभी विधानसभा क्षेत्र में रैली के लिए तैयारियों को देख रही है। दूसरे स्तर पर 2,600 से अधिक मतदान केंद्रों पर एक-एक प्रभारी नियुक्त किया गया है, जो मंडल स्तर पर टीमों का गठन करेंगे। तीसरे स्तर पर ये सभी टीमें अपने-अपने मोहल्ले और कॉलोनी में घर-घर जाकर लोगों को रैली में शामिल होने का न्योता देंगी। प्रत्येक टीम अपने से ऊपर के स्तर की टीम को रिपोर्ट करेगी। पार्टी के सात उपाध्यक्षों को सातों लोकसभा क्षेत्रों के ओवरऑल सुपरविजन का जिम्मा सौंपा गया है। कोशिश यही है कि हर क्षेत्र से अधिक से अधिक लोग रैली में शामिल हों।दिल्ली में घर-घर पहुंचने की योजनाहरियाणा और पंजाब से कितने लोग आएंगे? इस सवाल पर राय का कहना था कि हमारा फोकस दिल्ली पर ही ज्यादा है। यह जरूर है कि हरियाणा और पंजाब में पार्टी का मजबूत संगठन है, लेकिन बीजेपी और केंद्र सरकार पुलिस के जरिए रैली में ज्यादा भीड़ जुटने से रोकने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे। ऐसे में संभव है कि पंजाब-हरियाणा से गाड़ियों में आ रहे आप समर्थकों को पुलिस बॉर्डर ही पार न करने दे। इसी वजह से पार्टी दिल्ली से ही अधिक से अधिक लोगों को इकट्ठा करने पर फोकस कर रही है। राय ने बताया कि इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों ने रैली में शामिल होने की रजामंदी दे दी है। अब वो लोग तय कर रहे हैं कि उनकी तरफ से कौन-कौन लीडर रैली में शामिल होंगे। रैली की परमिशन लेने की प्रक्रिया अभी चल रही है। मैदान में तैयारियां 29 तारीख से शुरू होंगी।कांग्रेस को ताकत दिखाने का मौकायह महारैली कांग्रेस के लिए भी कई मायनों में बेहद खास है। इस रैली में वैसे तो इंडिया अलायंस के सभी घटक दलों के प्रतिनिधियों के आने की संभावना है, लेकिन कांग्रेस के लिए यह रैली दिल्ली में फिर से अपनी ताकत दिखाने के एक अवसर के समान भी है। खासकर जब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली में साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं, तब कांग्रेस को यह भी लग रहा है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद लोगों में उपजी सहानुभूति का लाभ लोकसभा चुनाव में कहीं न कहीं उसे भी मिलेगा। यही वजह है कि कांग्रेस भी रैली का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश करेगी और रैली में अपनी उपस्थिति केवल दर्ज ही नहीं, बल्कि महसूस कराने की भी कोशिश करेगी। कांग्रेस समर्थकों में ऊहापोहइंडिया अलायंस के बैनर तले होने जा रही रैली को सफल बनाने का मुख्य जिम्मा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कंधों पर ही है। हालांकि, कांग्रेस के ही कुछ समर्थकों को इसमें विरोधभास भी नजर आ रहा है क्योंकि रामलीला मैदान वही जगह है, जहां कभी अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की अगुवाई में आंदोलन शुरू किया था। अब समय ने ऐसी करवट बदली कि अरविंद केजरीवाल को किया गया है और इस गिरफ्तारी के विरोध में एकजुट हुए विपक्षी दलों में कांग्रेस भी साथ खड़ी है। हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद इंडिया गठबंधन के लिए माहौल बदला है और अब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, दोनों ही इस गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कहीं न कहीं अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में है। अगर 31 मार्च की रैली सफल होती है तो आम आदमी पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस को भी अपने चुनावी अभियान में बड़ा बूस्ट मिलने की उम्मीद है।दिल्ली के बाहर से कितना मिलेगा सहयोग?वहीं, कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मौका तो जरूर है, लेकिन इस मौके को भुनाना आसान नहीं होगा। दिल्ली के कांग्रेस और आप नेताओं के अलावा हरियाणा और पंजाब के नेताओं पर भी इस रैली को सफल बनाने की जिम्मेदारी है। दिल्ली कांग्रेस ने भले रैली को सफल बनाने में बैठक शुरू कर दी है, लेकिन पंजाब और हरियाणा से उसके नेताओं और समर्थकों का कितना सपोर्ट मिलेगा, इसको लेकर पार्टी के नेता भी अभी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। पार्टी ने अभी तक लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशी भी घोषित नहीं किए हैं। इसी वजह से कांग्रेस को इस रैली के लिए अतिरिक्त जोर भी लगाना पड़ रहा है।