चीन का पहला सुपर-कैरियर भारतीय नौसेना के लिए क्या बनेगा सिरदर्द, जानिए इसकी खूबियां

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका पर हमेशा तिरछी निगाहें रखने वाला चीन नई कवायद में जुटा है। उसने अपनी समुद्री सीमाओं को और मजबूत बनाने के लिए पहला सुपर-कैरियर तैयार कर लिया है। ये मॉडर्न युद्धपोत समुद्री टेस्ट पूरा करने के बाद पोर्ट पर लौट आया है। इसके आते ही आधुनिक एयरक्राफ्ट कैरियर भारतीय नौसेना के लिए नई चुनौती पेश कर सकता है। फुजियान अपनी श्रेणी का सबसे एडवांस्ड एयरक्राफ्ट कैरियर है। इसे चीन में ही तैयार किया गया है। ये वहां की सैन्य और नौसैनिक क्षमताओं में बड़ी उपलब्धि मानी जा रही। 80 हजार टन का ये युद्धपोत जिसे फुजियान कहा जाता है, अपना समुद्री टेस्ट पूरा करने के बाद बंदरगाह पर लौट आया है। ये एयरक्राफ्ट कैरियर चीन में निर्मित अपनी श्रेणी का सबसे उन्नत युद्धपोत है। फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर में क्या है खासइसकी खूबियों पर गौर करें तो फुजियान या टाइप 003 क्लास का सुपर कैरियर चीन का पहला स्वदेशी विमान वाहक डिजाइन है। इसमें पहली बार इंटीग्रेटेड प्रोपल्सन सिस्टम और विद्युत चुम्बकीय कैटापुल्ट का इस्तेमाल किया गया है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट, जो पारंपरिक भाप से चलने वाले कैटापुल्ट की जगह लेते हैं। इसका उद्देश्य फुजियान के डेक से एयरक्राफ्ट की सटीक लॉन्चिंग है। अमेरिकी नौसेना, जिसे अभी भी दुनिया में तकनीकी रूप से सबसे एडवांस्ड नेवी माना जाता है, उनके पास मौजूद कैरियर्स में इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जैसा चीन के सुपर कैरियर में है। सुपर कैरियर पर जल्द शुरू होगी एयरक्राफ्ट टेस्टिंगउम्मीद है कि फुजियान जल्द ही अपने एयरक्राफ्ट का परीक्षण शुरू कर देगा, जो वारशिप को सभी प्रकार से ऑपरेशन योग्य घोषित किए जाने से पहले एक साल तक चल सकता है। इस एयरक्राफ्ट कैरियर को डेवलप करने से चीन की नौसैनिक क्षमता में इजाफा देखने को मिलेगा। इसके साथ ही ये हिंद और प्रशांत महासागर क्षेत्र में शक्ति प्रदर्शन के लिए की जा रही कवायद का अहम हिस्सा है।लियाओनिंग था चीन का पहला एयरक्राफ्ट कैरियरचीन का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर, लियाओनिंग, मूल रूप से सोवियत युग का पोत था। इसे 1998 में यूक्रेन से खरीदा गया था। उस समय, यह कैरियर अधूरा था और इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था। बाद में इसे 2012 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) में शामिल किया गया। लियाओनिंग का इस्तेमाल मुख्य रूप से ट्रैनिंग उद्देश्यों और चीन की बढ़ती सैन्य स्थिति के प्रतीक के रूप में किया जाता रहा है।मॉडर्न एयरक्राफ्ट कैरियर पर चीन का फोकसचीन का दूसरा और स्वदेश में निर्मित पहला कैरियर, शांदोंग है, जिसे अप्रैल 2017 में लॉन्च किया गया था और दिसंबर 2019 से सेवा में आया। ये युद्धपोत, लियाओनिंग का एक काफी मॉडर्न संस्करण है, जिसे शेनयांग जे-15 ‘फ्लाइंग शार्क’ लड़ाकू विमान के इस्तेमाल से ऑपरेशनल तैनाती की गई। इसके अलावा, चीनी नौसेना जे-35 नाम से एक कैरियर स्टेल्थ फाइटर विकसित कर रही है, जिसके भविष्य में सर्विस में आने की उम्मीद है। जे-35 को चीन के मॉडर्न एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान से संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है। भारत में एयरक्राफ्ट कैरियर का क्या है हालभारतीय नौसेना की बात करें तो वर्तमान में दो एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत का ऑपरेशनल हैं। भारतीय नौसेना एक दशक से भी अधिक समय से एक बड़े और ज्यादा सक्षम एयरक्राफ्ट कैरियर की चाहत रखती रही है। हालांकि, इसके डेवलपमेंट, निर्माण और संचालन की अत्यधिक लागत के कारण लगातार सरकारों ने इसे ठुकरा दिया। फुजियान क्लास के एक एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण में भारत को 7 बिलियन डॉलर (56,000 करोड़ रुपये) का खर्च आएगा। फिलहाल, सरकार आईएनएस विक्रांत के बराबर आकार के एक छोटे एयरक्राफ्ट कैरियर को हरी झंडी दिखाने पर विचार कर रही है। सरकार फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट के साथ आईएनएस विक्रांत के लिए 26 राफेल-एम लड़ाकू विमान खरीदने के लिए बातचीत कर रही है, जिसकी अनुमानित लागत 8 बिलियन डॉलर (65,920 करोड़ रुपये) होगी।