भोपाल: मध्यप्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य (Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary) में 2 चीतों (Cheetahs) को सफलतापूर्वक छोड़ा गया, जिससे प्रदेश में चीता संरक्षण (Cheetah Conservation) के प्रयासों को नई गति मिली है। यह कदम भारत सरकार की महत्वाकांक्षी “चीता पुनर्प्रवेश परियोजना” (Cheetah Reintroduction Project) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश में चीतों की आबादी को पुनर्जीवित करना है।
गांधी सागर अभयारण्य: चीतों का नया आवास (Cheetah Habitat)
गांधी सागर अभयारण्य, जो मध्यप्रदेश के मंदसौर और नीमच जिलों में फैला हुआ है, चीतों के लिए एक उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है। यह क्षेत्र वन्यजीव पर्यटन (Wildlife Tourism) की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और चीतों के पुनर्वास (Cheetah Relocation) के बाद पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनने की उम्मीद है।
चीता प्रोजेक्ट की प्रगति (Progress of Cheetah Project)
भारत में चीता पुनर्स्थापना परियोजना (Cheetah Reintroduction Program) को सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था। तब से, दक्षिण अफ्रीका (South Africa), नामीबिया (Namibia) और बोत्सवाना (Botswana) से लाए गए चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) और अब गांधी सागर अभयारण्य में बसाया जा रहा है। वर्तमान में, कूनो में 26 चीते मौजूद हैं, जिनकी देखभाल विशेषज्ञों द्वारा की जा रही है।
मध्यप्रदेश चीतों के लिए आदर्श राज्य (Madhya Pradesh – Ideal State for Cheetahs)
वन विशेषज्ञों के अनुसार, मध्यप्रदेश का वातावरण और जैव विविधता (Biodiversity) चीतों के अनुकूल है, जिसके कारण यहां उनकी सर्वाइवल दर (Cheetah Survival Rate) अन्य देशों की तुलना में अधिक है। गांधी सागर अभयारण्य का चयन भी चीतों के प्राकृतिक आवास (Natural Habitat) को ध्यान में रखकर किया गया है।
वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा (Boost to Wildlife Tourism)
इस परियोजना से न केवल चीतों की आबादी बढ़ेगी, बल्कि वन्यजीव पर्यटन (Eco-Tourism) को भी प्रोत्साहन मिलेगा। गांधी सागर अभयारण्य अपने प्राचीन शैल चित्रों (Rock Paintings) और समृद्ध जैव विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है, जो पर्यटकों को आकर्षित करेगा। चीता प्रोजेक्ट (Project Cheetah) की यह सफलता भारत के वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation) के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगी।
मध्यप्रदेश के वन और वातावरण चीतों के अनुकूल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने “चीता प्रोजेक्ट” को मध्यप्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना बताया है। मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य भारत में चीतों की संख्या बढ़ाना और उनकी प्रजाति को बचाना है। इसमें हमें सफलता भी मिल रही है। गाँधी सागर अभयारण्य प्रदेश का दूसरा ऐसा स्थान है, जहाँ चीतों को बसाया जा रहा है। वन्य जीव पर्यटन की दृष्टि से आज एक ऐतिहासिक दिन है।
डॉ. यादव ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों में भी चीता पुनर्स्थापन के प्रयास हुए लेकिन उतनी सफलता नहीं मिल सकी। भारत में यह प्रोजेक्ट सफल हो रहा है। यहां चीतों की सर्वाइवल की दर अन्य देशों की अपेक्षा सर्वाधिक है। मध्यप्रदेश के वन और वातावरण चीतों के अनुकूल है। प्रदेश में कूनो के बाद गांधी सागर भी इनका घर बन रहा है। गाँधी सागर पश्चिमी मध्यप्रदेश में स्थित एक वन्य अभयारण्य है।