लोकसभा चुनाव : दमदम सीट पर किसमें कितना दम, तृणमूल व भाजपा में सीधी टक्कर

Kolkata , 29 मार्च . Lok Sabha चुनाव के ऐलान के बाद West Bengal में राजनीतिक दलों ने दम दिखाना शुरू कर दिया है. यहां ममता बनर्जी ने राज्य की सभी 42 Lok Sabha सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है, जिसके बाद से लड़ाई दिलचस्प हो गई है. बंगाल में दमदम Lok Sabha सीट हाई प्रोफाइल है. Kolkata से सटे होने की वजह से इसका लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है. इस बार इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने अपने मौजूदा Member of parliament और वयोवृद्ध नेता सौगत राय पर ही भरोसा जताया है. सदन में Narendra Modi सरकार के खिलाफ मुखर विरोध के लिए वह जाने जाते हैं. हालांकि नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में घूस लेते उनका वीडियो वायरल हुआ था. एक कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर होने के बावजूद इस तरह से भ्रष्टाचार में वीडियो वायरल होने के बाद उनकी नैतिकता सवालों के घेरे में रही है.
इस बार उनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने शीलभद्र दत्त को मैदान में उतारा है. हालांकि वह भी तृणमूल से ही भाजपा में आये थे लेकिन लंबे समय से भाजपा में हैं और इस बार उनकी सीधी टक्कर सौगत राय से होने की संभावना है. यहां से इंडी गठबंधन की ओर से वामदल या कांग्रेस में से कौन उम्मीदवार उतारेगा, फिलहाल इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है.
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क्या है भौगोलिक स्थिति?
दमदम West Bengal राज्य के उत्तर 24 परगना जिले का एक शहर और नगर पालिका है. यह Kolkata मेट्रोपॉलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी (केएमडीए) द्वारा कवर किए गए क्षेत्र का एक हिस्सा है और Kolkata मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण इलाका भी है. दमदम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की सात सीटें आती हैं, जिनमें खरदह, दमदम उत्तर, पानीहाटी, कमरहाटी, बारानगर, दम दम और राजारहाट गोपालपुर शामिल हैं.
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क्या है राजनीतिक इतिहास?
दमदम Lok Sabha सीट पर किसी पार्टी विशेष का दबदबा नहीं रहा है. हालांकि भाजपा सहित विरोधी पार्टियां यहां पर केवल पांच चुनाव ही जीत पाई हैं. 1977 में इस सीट पर जब पहली बार चुनाव हुआ तो उस दौरान भारतीय लोक दल के टिकट पर अशोक कृष्ण दत्त Member of parliament चुनकर Lok Sabha पहुंचे थे. 1980 के चुनाव में माकपा के उम्मीदवार निरेन घोष चुने गए थे. 1984 के चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और उसके उम्मीदवार आशुतोष लाहा संसद पहुंचे थे. इसके बाद 1989, 1991 और 1996 के Lok Sabha चुनावों में माकपा के निर्मल कांति चटर्जी चुनाव जीतते रहे. वहीं 1998 और 1999 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तपन सिकदर चुनाव जीते. 2004 के चुनाव में माकपा के अमिताभ नंदी चुनकर संसद पहुंचे. 2009 में तृणमूल कांग्रेस ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की और सौगत रॉय Member of parliament बने थे.
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क्या है 2019 का जनादेश?
2019 के Lok Sabha चुनाव में दमदम सीट से कुल 12 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर सौगत रॉय पर भरोसा जताते हुए चुनावी मैदान में उतारा है जबकि उनके मुकाबले में सीपीएम ने नेपालदेव भट्टाचार्य को अपना उम्मीदवार बनाया था. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से शमिक भट्टाचार्य चुनाव लड़ रहे थे, जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर सौरव साहा को अपना उम्मीदवार बनाया था. वहीं शिवसेना ने इंद्रनील बनर्जी पर दांव खेला था.
इस सीट से तृणमूल उम्मीदवार सौगत रॉय ने अपनी जीत बरकरार रखी, उन्हें पांच लाख 12 हजार 062 वोट मिले. वहीं, भाजपा तीसरे स्थान से दूसरे स्थान पर आने में कामयाब रही थी. पार्टी उम्मीदवार शमिक भट्टाचार्य को चार लाख 59 हजार 063 वोट मिले थे. जबकि सीपीआई (एम) प्रत्याशी नेपालदेव भट्टाचार्य एक लाख 67 हजार 59 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. दमदम Lok Sabha सीट पर 76.88 फीसदी वोटिंग हुई थी.
/ ओम प्रकाश