इंदौर (Indore), देश के सबसे स्वच्छ शहर (Cleanest City in India) के रूप में मशहूर इंदौर ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। शहर के प्रशासन ने दावा किया है कि इंदौर अब भारत का पहला भिखारी-मुक्त शहर (First Beggar-Free City) बन गया है। एक साल पहले तक यहां करीब 5000 भिखारी (Beggers Rehabilitation) थे, लेकिन व्यापक पुनर्वास योजनाओं के बाद यह संख्या शून्य (Zero Begging Campaign) तक पहुंच गई है।
कैसे हुआ यह संभव? (How Indore Achieved This Milestone?)
जिला मजिस्ट्रेट आशीष सिंह (Ashish Singh, District Magistrate) के अनुसार, भिखारियों को रोजगार (Employment for Beggars) दिलाकर और बच्चों को स्कूलों में दाखिला (Child Education Initiative) देकर उनका पुनर्वास किया गया। उन्होंने कहा, “हमारा अभियान अब एक मॉडल बन चुका है, जिसे केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय और विश्व बैंक ने भी सराहा है।”
10 शहरों में पायलट प्रोजेक्ट (Anti-Begging Pilot Project in 10 Cities)
इंदौर उन 10 शहरों (Top 10 Cities for Beggar Rehabilitation) में शामिल है, जहां केंद्र सरकार ने भीख मांगने की प्रथा खत्म करने (Eradicate Begging in India) के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। रामनिवास बुधौलिया (Ramnivas Budholiya, WCD Department) के मुताबिक, इस अभियान के तहत जागरूकता (Awareness Campaign Against Begging) फैलाई गई और भिखारियों को वैकल्पिक रोजगार (Skill Development for Beggars) से जोड़ा गया।
सख्त नियम और जनता की भागीदारी (Strict Laws & Public Participation)
- भीख मांगने या देने पर प्रतिबंध (Ban on Begging in Indore) लगा दिया गया है।
- भिखारियों की सूचना देने वालों को 1000 रुपये का इनाम (Cash Reward for Reporting Beggars) दिया जाता है।
- अब तक 3 एफआईआर (FIR Against Begging) दर्ज की जा चुकी हैं।
इंदौर की यह सफलता सामाजिक सुधार (Social Welfare Schemes) और सरकार-जनता सहयोग (Government-Public Partnership) का बेहतरीन उदाहरण है, जो अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है।