हकीकत के कितने करीब ‘एशियाई नाटो’, चीन को सता रहा डर, अमेरिका की बल्ले-बल्ले

वॉशिंगटन: चीन इन दिनों ‘एशियाई नाटो’ कहे जाने वाले क्वाड से डरा हुआ है। इस समूह में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। एशिया के इन प्रमुख देशों को अमेरिका ने एक मंच पर इकट्ठा किया है। इसका प्रमुख मकसद इंडो-पैसिफिक में चीन की आक्रामकता को कम करना है। हालांकि, क्वाड के प्राथमिक उद्देश्यों में से एक स्वतंत्र, खुले, समृद्ध और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए काम करना है। इसके बावजूद अमेरिका एक दूसरे समूह पर भी काम कर रहा है, जिसमें उसके साथ जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं। अमेरिका फिलीपींस को भी साथ लेकर एक ऐसा ही गठजोड़ बनाना चाहता है, जो दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता का मुकाबला कर सके। कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने 3 मई को होनोलूलू में जापानी रक्षा मंत्री मिनोरू किहारा, ऑस्ट्रेलियाई रक्षा प्रमुख रिचर्ड मार्ल्स और फिलीपीन के रक्षा सचिव गिल्बर्टो टेओडोरो की मेजबानी की। एशिया में सहयोगियों को साध रहा अमेरिकायह कदम अपने क्षेत्रीय सहयोगियों और साझेदारों को छोटे समूहों में एक साथ लाने की अमेरिकी रणनीति को दर्शाता है। इसका प्रमुख मकसद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामकता के खिलाफ एक सामूहिक क्षमता का निर्माण करना है। हालांकि ऑस्टिन और उनके मेहमानों ने एक बार भी “चीन” का नाम नहीं लिया। लेकिन, चीन की बढ़ती क्षेत्रीय मुखरता स्पष्ट रूप से उनके एजेंडे में सबसे ऊपर थी। अमेरिका द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और चतुर्पक्षीय जुड़ावों की एक श्रृंखला के माध्यम से अपने सहयोगियों के साथ संबंधों को गहरा करने और अंतरसंचालनीयता बनाने की कोशिश कर रहा है। फिलीपींस और चीन में जबरदस्त तनावफिलीपींस के रक्षा मंत्री को बैठक में आमंत्रित करके, ऑस्टिन ने पर्याप्त संकेत दिया है कि सुरक्षा मामलों में मनीला और वाशिंगटन के बीच बढ़ती निकटता प्रमुख रूप से दक्षिण चीन सागर के संपूर्ण रणनीतिक जलमार्ग पर फिलीपींस के दावों का समर्थन है। गौरतलब है कि फिलीपींस ने 23 अप्रैल को दक्षिण चीन सागर में सरकारी जहाजों के खिलाफ चीन द्वारा पानी की बौछारों के इस्तेमाल का विरोध करने के लिए 25 अप्रैल को मनीला में चीन के राजदूत को तलब किया था। इस दौरान फिलीपींस ने चीन पर “उत्पीड़न करने, हमला करने, झुंड बनाने, और रास्ते को अवरुद्ध करके खतरनाक माहौल बनाने” का आरोप लगाया था।फिलीपींस की रक्षा को मजबूर है अमेरिकाअमेरिका और फिलीपींस के बीच एक पारस्परिक रक्षा संधि है। ऐसे में अगर फिलीपींस पर हमला होता है तो अमेरिका सैन्य सहायता देने के लिए बाध्य है। ऐसे में डर है कि अगर फिलीपींस और चीन के बीच युद्ध होता है तो इसमें अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। यह कुछ ऐसा होगा, जो अभी रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान देखने को मिल रहा है। फिलीपींस को सबसे ज्यादा सहयोग जापान और ऑस्ट्रेलिया से भी मिल रहा है। ये दोनों देश परंपरागत रूप से अमेरिका से करीबी सहयोगी और चीनी आक्रामकता के भुक्तभोगी हैं। ऐसे में ये देश फिलीपींस की सहायता कर अपने दुश्मन पर बढ़त बनाने की उम्मीद कर रहे हैं।क्वाड से भी सहमा हुआ है चीनक्वाड को लेकर चीन शुरू से ही मुखर रहा है। चीन का कहना है कि क्वाड का गठन उसके खिलाफ किया गया है, क्योंकि इस समूह में जो भी देश शामिल हैं, सबका उसके साथ विवाद है। क्वाड समूह की पहली बैठक 2007 में एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के मौके पर हुई थी। इसे समुद्री लोकतंत्रों का गठबंधन माना जाता है और इस मंच का रखरखाव सभी सदस्य देशों की बैठकों, अर्ध-नियमित शिखर सम्मेलनों, सूचना आदान-प्रदान और सैन्य अभ्यासों द्वारा किया जाता है। 2007 में इसकी स्थापना के बाद से, चार सदस्य देशों के प्रतिनिधि समय-समय पर मिलते रहे हैं। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे 2007 में क्वाड के गठन का विचार रखने वाले पहले व्यक्ति थे।