छतरपुर जिले के नौगांव में 2 लड़कियों ने समलैंगिक विवाह कर परिवार से नाता तोड़ा

सागर: छतरपुर जिले के नौगांव थाना क्षेत्र में दो लड़कियों के समलैंगिक विवाह (Same-Sex Marriage) कर लिया। एक गांव की 21 साल की लड़की ने गांव की ही 24 साल की दूसरी लड़की के साथ लगभग डेढ़ साल पहले समलैंगिक विवाह कर लिया था। इसका खुलासा तब हुआ जब मंगलवार को दोपहर के इनमें से एक अपने पिता के साथ हलफनामा लिखाने पहुंची। पिछले दो महीने में यह दूसरी ऐसी घटना है।

कानूनी और सामाजिक स्थिति

लड़की ने स्टाम्प वेंडर के माध्यम से शपथ पत्र तैयार करवाया, लेकिन समलैंगिक विवाह के लिए स्पष्ट कानूनी नियम न होने के कारण किसी भी नोटरी ने इसे रजिस्टर नहीं किया। पुलिस ने भी हलफनामा लेने से इनकार कर दिया।

युवती ने हलफनामे में स्पष्ट किया कि वह बालिग है, अपनी मर्जी से विवाह किया है और अब अपने माता-पिता या परिवार के किसी भी सदस्य से कोई संबंध नहीं रखना चाहती। यदि भविष्य में परिवार या रिश्तेदार उसे परेशान करते हैं, तो वह स्वयं जिम्मेदार होगी।

यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि बीते दो महीनों में नौगांव क्षेत्र में यह दूसरी समलैंगिक शादी है। इससे पहले दौरिया गांव की एक युवती ने असम की रहने वाली युवती से विवाह किया था।

भारत में समलैंगिक विवाह की कानूनी स्थिति क्‍या है

  • भारत में सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में समलैंगिक विवाह (LGBTQ+ Marriage) को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि यह विषय संसद के अधिकार क्षेत्र में है और कानून में बदलाव वहीं से संभव है।
  • समलैंगिक संबंध अपराध नहीं हैं, लेकिन भारत में समलैंगिक विवाह को अब भी कानूनी मान्यता नहीं मिली है। हालांकि, दो वयस्क समलैंगिक व्यक्ति अपनी मर्जी से साथ रह सकते हैं और “लिव-इन रिलेशनशिप” के अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।
  • हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट किया कि समलैंगिक जोड़े परिवार बना सकते हैं, भले ही विवाह को कानूनी मान्यता न हो।

समाज की मिली-जुली प्रतिक्रिया

  • इस विवाह को लेकर गांव और समाज में मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ लोग इसे सामाजिक परंपराओं के खिलाफ मानते हैं, जबकि कुछ इसे बदलाव  (Social Change) और व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Youth Independence)  का प्रतीक मानते हैं।
  • प्रशासन और पुलिस ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया, लेकिन युवतियों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं।

भारतीय समाज की बदलती सोच की ओर इशारा

दो लड़कियों द्वारा समलैंगिक विवाह और परिवार से नाता तोड़ने की घटना भारतीय समाज में बदलती सोच और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की ओर इशारा करती है। हालांकि, भारत में समलैंगिक विवाह को अभी कानूनी मान्यता नहीं मिली है, लेकिन ऐसे जोड़े अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं और समाज में बदलाव की बयार ला रहे हैं।

नौगांव थाना क्षेत्र में यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी नौगांव क्षेत्र के दौरिया गांव की एक युवती ने असम की रहने वाली युवती से समलैंगिक शादी कर ली थी। बीते दो महीने में दो समलैंगिक विवाह होने की बात उजागर हुई है।

मंदिर के पास तालाब किनारे शादी की

बताया जाता है कि दोनों ने 9 दिसंबर 2023 को गांव के ही बिहारी जी मंदिर के पास तालाब किनारे शादी की थी। अब दोनों ने नौगांव तहसील कार्यालय पहुंचकर हलफनामा देकर यह ऐलान किया कि वे बालिग हैं, उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है। अब वे अपने परिवार से किसी प्रकार का संबंध नहीं रखेंगी। उन्होंने यह विवाह किसी दबाव में नहीं किया है। कुछ लोग इस शादी को समाज के खिलाफ बता रहे हैं तो कुछ इसे बदलाव करार दे रहे हैं। (Debate on LGBTQ Rights)

समलैंगिक जोड़ों को करना पड़ेगा भविष्य म चुनौतियों का सामना

कानूनी सुरक्षा का अभाव: समलैंगिक जोड़ों (Same-Sex Couples) को संपत्ति, चिकित्सा और वित्तीय अधिकारों (Property, Medical & Financial Rights) में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

सामाजिक स्वीकृति: ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) में ऐसे रिश्तों को लेकर उत्पीड़न (Harassment) या बहिष्कार (Social Boycott) की आशंका बनी रहती है।

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