भारतीय मन, मानस और संस्कृति का पुनर्बोध : गांधी का ‘हिंद स्वराज’ आज भी प्रासंगिक

डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में दोदिवसीय आयोजन, स्वराज और भारतीय ज्ञान परंपरा पर हुई गहन चर्चा

सागर (dailyhindinews.com): समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने कहा कि महात्मा गांधी की पुस्तक ‘हिंद स्वराज’ न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी दस्तावेज है। उन्होंने कहा, “स्वराज केवल अंग्रेजों के शासन से मुक्ति नहीं, बल्कि ‘अंग्रेजियत’ की मानसिकता से भी मुक्ति है। भारतीय सभ्यता ही हमारे संविधान में स्वराज की सच्ची भावना को दर्शाती है।”

वे यहां डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के अभिमंच सभागार में “भारतीय मन, मानस और संस्कृति का पुनर्बोध” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन अपना संबोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि केवल अंग्रेजों के हटने से स्वराज नहीं मिलेगा, बल्कि हमें अंग्रेजियत (अर्थात उनकी सोच और जीवनशैली) भी छोड़ना होगी। गांधीजी ने अपने विचारों में बदलाव लाते हुए यह भी माना कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति ही हमारे संविधान में स्वराज की सच्ची परिभाषा हो सकती है।

raghu-thakur
संगोष्ठी के दूसरे दिन अपना संबोधन दे रहे समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर

संगोष्ठी का आयोजन धर्मपाल शोधपीठ, स्वराज संस्थान संचालनालय (भोपाल) और संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। संगोष्ठी में देशभर के प्रख्यात विद्वानों, शिक्षाविदों और चिंतकों ने भारतीय संस्कृति, स्वराज की अवधारणा और औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति जैसे विषयों पर अपने विचार रखे।

विविधता में एकता है भारत की ताकत

प्रो. विजय बहादुर सिंह ने भारतीय संस्कृति की बहुलता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारे देवी-देवताओं से लेकर खान-पान तक विविधता है, लेकिन सत्य, अहिंसा और कर्म की भावना हमें एक सूत्र में बांधती है। असली पहचान वस्त्रों से नहीं, बल्कि आचरण से होती है।”

तकनीक का दुरुपयोग न हो: प्रो. कुमार प्रशांत

वरिष्ठ पत्रकार प्रो. कुमार प्रशांत ने कहा कि तकनीक (Technology) एक उपकरण मात्र है, जिसकी उपयोगिता को समाज को निरंतर जांचना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी, “भ्रूण लिंग जांच और डेटा प्राइवेसी (Data Privacy) का उल्लंघन तकनीक के दुरुपयोग के उदाहरण हैं। विज्ञान को पूर्व और पश्चिम के बीच सेतु बनाना चाहिए।”

औपनिवेशिक शिक्षा प्रणाली पर प्रहार

डॉ. कन्हैया त्रिपाठी ने कहा कि औपनिवेशिक मानसिकता (Colonial Mindset) से मुक्ति के बिना वास्तविक स्वतंत्रता संभव नहीं। उन्होंने कहा, “आज की शिक्षा प्रणाली मूल्यविहीन होकर रह गई है। हमें गुरुकुलों की समग्र शिक्षा (Holistic Education) के मॉडल को पुनर्जीवित करना होगा।”

डॉ. अंबेडकर और मानसिक स्वतंत्रता

प्रो. सत्यकेतु सांकृत ने कहा, “डॉ. भीमराव अंबेडकर ने केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि मानसिक गुलामी से भी लड़ाई लड़ी। सच्ची आजादी तभी मिलेगी जब हम स्वतंत्र विचार करना सीखेंगे।”

समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो. अनिल कुमार जैन (अधिष्ठाता, शैक्षिक अध्ययनशाला) ने की। प्रो. सुस्मिता लाख्यानी (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने अपने चित्रों के माध्यम से सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डाला। डॉ. मनीष वर्मा (लोक शिक्षण संभाग) और प्रो. सत्यकेतु सांकृत ने भी विचार रखे।

इस संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग और जीवनपर्यंत शिक्षा विभाग द्वारा किया गया। संयोजन डॉ. अनिल कुमार तिवारी और सुश्री अदिति गौर (स्वराज संस्थान) ने किया। कार्यक्रम में 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें शिक्षक, शोधार्थी और छात्र शामिल थे।

विनम्र अनुरोध : कृपया वेबसाइट के संचालन में आर्थिक सहयोग करें

For latest sagar news right from Sagar (MP) log on to Daily Hindi News डेली हिंदी न्‍यूज़ के लिए डेली हिंदी न्‍यूज़ नेटवर्क Copyright © Daily Hindi News 2025

Spread the love
Daily Hindi News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.

DHNS