भोपाल: मध्यप्रदेश वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation) के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करते हुए चीतों के पुनर्वास (Cheetah Reintroduction) को लेकर राष्ट्रीय सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गांधीसागर अभयारण्य (Gandhi Sagar Sanctuary) में कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) से स्थानांतरित चीतों पावक और प्रभास के सफल विचरण को “एशिया के लिए ऐतिहासिक पल” बताया। इसके साथ ही, मई 2025 में बोत्सवाना (Botswana) से चार और चीतों के आगमन की तैयारी पर भी प्रकाश डाला गया।
गांधीसागर अभयारण्य: चीतों के लिए नया स्वर्ग
मंदसौर स्थित गांधीसागर अभयारण्य, जो अपने प्राकृतिक परिवेश और विस्तृत घास के मैदानों के लिए प्रसिद्ध है, चीतों के पुनर्वास हेतु आदर्श स्थल के रूप में उभरा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि यहाँ के अनुकूल वातावरण और सुरक्षित इको-सिस्टम (Eco-System) के कारण पावक और प्रभास तेजी से नए परिवेश में ढल गए हैं। यह परियोजना मध्यप्रदेश को जैव विविधता (Biodiversity) के वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
कूनो के बाद गांधीसागर: संरक्षण की दोहरी रणनीति
राज्य सरकार ने कूनो नेशनल पार्क के बाद गांधीसागर को चीतों के लिए दूसरा आवास चुनकर वन्यजीव प्रबंधन में नई रणनीति अपनाई है। डॉ. यादव के अनुसार, यह निर्णय न केवल प्रजातियों के संरक्षण (Species Conservation) को बढ़ावा देगा, बल्कि पर्यावरण पर्यटन (Eco-Tourism) के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग से बढ़ेगी चीतों की संख्या
मध्यप्रदेश सरकार अफ्रीकी देशों (African Countries) के साथ सक्रिय साझेदारी करते हुए चीतों की आबादी बढ़ाने पर केंद्रित है। आगामी मई में बोत्सवाना से चार चीतों के आगमन की योजना इसी का हिस्सा है। इसके साथ ही, वन विभाग (MP Forest Department) द्वारा संरक्षित क्षेत्रों में अत्याधुनिक निगरानी तंत्र और स्थानीय समुदायों को जागरूक करने के प्रयास तेज किए गए हैं।
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‘टाइगर स्टेट’ से ‘चीता हब’ तक की यात्रा
मध्यप्रदेश, जो पहले से ही “टाइगर स्टेट” के रूप में विख्यात है, अब चीतों के संरक्षण (Cheetah Conservation) में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। मुख्यमंत्री ने नागरिकों से ‘जियो और जीने दो’ के सिद्धांत को अपनाते हुए वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने का आह्वान किया। साथ ही, आवास विस्तार (Habitat Expansion) और वैज्ञानिक प्रबंधन (Scientific Wildlife Management) पर विशेष ध्यान दिए जाने की घोषणा की।