भोपाल. मध्य प्रदेश सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology) के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के लिए ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के समकक्ष एक अनुसंधान केंद्र (Research Center) स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों से सलाह-मशविरा शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की कार्यकारी समिति की बैठक में यह निर्देश दिए। बैठक में डिजिटल एटलस (Digital Atlas), डाटा एनालिटिक्स (Data Analytics) और वैज्ञानिक नवाचार (Scientific Innovation) से जुड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर चर्चा हुई।
प्रमुख घोषणाएँ एवं योजनाएँ:
प्राकृतिक संसाधनों का डिजिटल एटलस: परिषद द्वारा प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों का हाई-टेक डिजिटल मैप (High-Tech Digital Mapping) तैयार किया जा रहा है, जो शोध और नीति निर्माण में मददगार होगा।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर का अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र: उज्जैन के डोंगला क्षेत्र में एक विश्वस्तरीय स्पेस रिसर्च सेंटर (World-Class Space Research Center) स्थापित किया जाएगा। साथ ही, यहाँ कालगणना केंद्र (Time Calculation Center) भी विकसित किया जाएगा।
यह भी देखें
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बायोटेक्नोलॉजी पार्क एवं इन्क्यूबेशन सेंटर: नीमच में बायो-टेक्नोलॉजी पार्क (Biotechnology Park) और उज्जैन में इनोवेशन हब (Innovation Hub) स्थापित किया जाएगा।
विज्ञान प्रसार के लिए नई पहल:
- साइंस ऑन व्हील्स (Science on Wheels) – ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान का प्रयोगात्मक ज्ञान पहुँचाने की योजना।
- उज्जैन और जबलपुर में 15.20 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक विज्ञान केंद्र (Modern Science Centers) विकसित किए जाएँगे।
- कारीगर विज्ञान सम्मेलन (Artisan Science Conclave) के माध्यम से शिल्पकारों को उन्नत तकनीकों से जोड़ा जाएगा।
डाटा आधारित शासन पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त डाटा (Multi-Source Data) का उपयोग शोध, योजनाओं के क्रियान्वयन और प्रशासनिक निर्णयों में किया जाना चाहिए। बैठक में अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री कार्यालय) डॉ. राजेश राजौरा और परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी भी मौजूद थे।
इसके अलावा, परिषद के कर्मचारियों को 35 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर चतुर्थ समयमान देने की भी मंजूरी दी गई।