नई दिल्ली: आज तक देश में अगर पहलवानी में किसी का नाम लिया जाता है तो वह दारा सिंह (Dara Singh) हैं। उन्हें भला कौन नहीं जानता है। अपने समय में बड़े-बड़े पहलवानों को उन्होंने धूल चटाई। इनमें किंग कांग भी शामिल था। वह बेजोड़ रेस्लर थे। 6 फीट 2 इंच के दारा सिंह ने पहलवानी के साथ फिल्मों में भी खूब नाम कमाया। फिर राजनीति का भी रुख किया। रिंग में उनकी दीवानगी जबर्दस्त हुआ करती थी। यह दीवानगी बड़ी-बड़ी हस्तियों को उन तक खींचकर ले जाती थी। यह तस्वीर उसका एक नमूना है। दारा सिंह को तो आपने पहचान ही लिया होगा। क्या उन्हें पहचान पाए जिनसे दारा सिंह हाथ मिला रहे हैं? अगर नहीं तो हम बताते हैं। तस्वीर में दारा सिंह से हाथ मिलाते जो दिख रहे हैं वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी () हैं। दारा सिंह के साथ यह राजीव गांधी की जवानी की तस्वीर है। यह उस समय की है जब दारा सिंह का क्रेज सातवें आसमान पर था। रिंग में अपनी कुश्ती के जौहर से वह बड़े-बड़े पहलवानों को ढेर कर दिया करते थे। राजीव गांधी मिलने पहुंचे थे… रेस्लिंग में दारा सिंह के उन्हीं स्वर्णिम दिनों में युवा राजीव गांधी भी उनसे मिलने पहुंचे थे। दारा सिंह से उन्होंने हाथ मिलाया था। उनसे मिलकर वह बहुत खुश थे। आज ये दोनों दुनिया में नहीं हैं। लेकिन, इन दोनों की यह तस्वीर यादगार है। पहलवान से मिलकर युवा राजीव की खुशी समा नहीं रही है। रुस्तम-ए-हिंद दारा सिंह के फौलादी पंजों में उनके हाथ नाजुक से दिखते हैं। दोनों के बाजुओं में भी जमीन आसमान का अंतर दिखाई देता है। युवा उम्र में राजीव काफी दुबले-पतले हुआ करते थे। बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाई दारा सिंह रुस्तम-ए-पंजाब के बाद रुस्तम-ए-हिंद बने। 1968 में जू थेस को धूल चटाकर उन्होंने रेस्लिंग में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीती। जापान प्रो रेस्लिंग अलायंस (JWA) में 1955 में किंग कांग को हराने के बाद दारा सिंह को हर कोई जान गया था। 1983 में उन्होंने रेस्लिंग की दुनिया से रिटायरमेंट ले लिया था। इस बीच वह फिल्मों में भी काम करने लगे थे। दारा सिंह ने एक से बढ़कर एक सफल फिल्में दीं। धारावाहिक ‘रामायण’ में उन्होंने हनुमान का किरदार निभाया। इस किरदार ने उन्हें अमर कर दिया। सांसद भी बने दारा सिंह दारा सिंह का जन्म जाट सिख परिवार में पंजाब में हुआ था। उनके ऐक्टिंग करियर की शुरुआत 1952 में हुई थी। वह पहले स्पोर्ट्सपर्सन थे जिन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया गया था। उन्होंने हिंदी के साथ पंजाबी फिल्मों में भी खूब काम किया। वह प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और राइटर भी रहे। 2018 में उन्हें डब्ल्यूडब्ल्यूई हॉल ऑफ फेल की लीगेसी कैटेगरी में शामिल किया गया। 12 जुलाई 2012 में 83 साल की उम्र में दारा सिंह ने अंतिम सांस ली थी।