बिहार में पांच दलित-पिछड़े नेताओं को ‘Y’ और ‘Z’ कैटेगरी की सुरक्षा, केंद्र सरकार क्यों है चिंतित

पटना: बिहार में भले ही अब सामंतशाही सपने की बात हो गई है। दलित-पिछड़ों को अब किसी से डरने की जरूरत नहीं रही। इसके बावजूद बिहार के दलित-पिछड़े नेताओं को अपने ऊपर खतरा महसूस हो रहा है। खतरे की बात भले उन्हें खुद नहीं मालूम हो, पर सरकार का खुफिया तंत्र इस बात की तस्दीक करता है कि ऐसे नेताओं की जान पर पर खतरा है। इन्हें सुरक्षा की सख्त जरूरत है। राज्य सरकार जान-बूझ कर उनकी सुरक्षा की अनदेखी करती है, इसलिए उनकी सुरक्षा की सर्वाधिक चिंता केंद्र सरकार को है। यही वजह है कि बिहार के दलित-पिछड़े तबके के पांच नेताओं को केंद्र सरकार ने खतरे की गंभीरता देखते हुए किसी को ‘वाई’ श्रेणी तो किसी को ‘जेड’ कैटेगरी की केंद्रीय सुरक्षा दे रखी है। पहले से चार नेताओं को केंद्रीय सुरक्षा मिली हुई थी। अब उसमें पांचवां नाम पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री संतोष मांझी उर्फ का जुड़ गया है। केंद्र की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने उन्हें भी केंद्रीय सुरक्षा मुहैया करा दी है।बीजेपी क्यों है इन दलित-पिछड़े नेताओं पर मेहरबानबीजेपी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बिहार में 2014 और 2019 जैसे परिणाम हर हाल में हासिल करना चाहती है। अब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ नहीं हैं। इसलिए बीजेपी की पूरी कोशिश है कि महागठबंधन को जिन वोटरों पर अधिक भरोसा है, उसमें कैसे सेंधमारी की जाए। बिहार में दलित-महादलित वोट 18 प्रतिशत तो पिछड़े वोटों में लव-कुश समीकरण वाले 11-12 प्रतिशत वोट हैं। बीजेपी के अपने पारंपरिक वोटर तो साथ देंगे ही, अगर दलित-पिछड़े वोटों में सेंधमारी सफल हुई तो उसकी कोशिश कामयाब हो जाएगी। बिहार में किन-किन नेताओं को मिली है केंद्रीय सुरक्षाबिहार के की पार्टी जेडीयू से अलग होकर अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री को ‘जेड’ कैटेगरी की सुरक्षा मिली है। उनकी जान पर खतरे की आशंका सेंट्रल इंटेलीजेंस ने सरकार को दी थी। उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय जनता दल और नीतीश कुमार के कटु आलोचक रहे हैं। उन्होंने जेडीयू का साथ भी इसी आधार पर छोड़ा था कि आरजेडी से पार्टी ने हाथ मिला लिया था। उनका आरोप था जेडीयू नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए पार्टी को आरजेडी के हाथों गिरवी रख दी है। जल्दी ही नीतीश जेडीयू का विलय आरजेडी में कराने वाले हैं। उनकी बात नीतीश कुमार को नागवार लगी थी। उन्होंने विलय की बात का तब खंडन तो नहीं किया था, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा पर आरोप मढ़ दिए थे कि वे बीजेपी के साथ जाना चाहते हैं, इसलिए ऐसी बात कह रहे हैं। हालांकि तीन दिन पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने सफाई दी कि जेडीयू का विलय आरजेडी में नहीं होगा।उपेंद्र कुशवाहा की अपनी बिरादरी के वोटों पर है पकड़ उपेंद्र कुशवाहा अब अपनी नई पार्टी आरएलजेडी के अध्यक्ष हैं। बिहार में लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) समीकरण के संस्थापक नेताओं में उनकी गिनती होती है। वे खुद कोइरी बिरादरी से आते हैं। बिहार में उनकी बिरादरी की आबादी 5-6 प्रतिशत मानी जाती है। लव-कुश समीकरण की नींव आरजेडी के विरोध में नीतीश को उभारने के लिए 1994 में पड़ी थी। नीतीश कुमार का आधार वोट भी लव-कुश समीकरण ही था। उपेंद्र कुशवाहा ने बाद में अपनी पार्टी आरएलएसपी बना कर इसका फायदा भी उठाया। साल 2014 में वे एनडीए फोल्डर में आ गए और लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने तीन सीटें जीतीं। कुशवाहा को नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में जगह भी मिल गई थी। अधिक सीटों की मांग को लेकर वे 2019 में एनडीए से वे अलग हो गए थे। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद कुशवाहा ने अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में कर दिया और एक बार फिर नीतीश के करीबी बन गए। नीतीश ने उन्हें एमएलसी तो बना दिया, पर मंत्री पद नहीं दिया। इस बात से वे खफा तो थे ही, लेकिन आरजेडी के साथ जेडीयू के जाने पर भी जब उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने नीतीश कुमार की लानत-मलामत करते हुए जेडीयू को बाय बोल दिया। अभी तक वे औपचारिक रूप से एनडीए का हिस्सा नहीं बने हैं, लेकिन बीजेपी के प्रति उनकी निष्ठा जिस तरह से जाहिर होती रही है, उससे उम्मीद है कि जल्दी ही उनके एनडीए में शामिल होने का औपचारिक ऐलान भी हो जाएगा। ‘वीआईपी’ सुप्रीमो मुकेश सहनी को भी मिली है वाई प्लस सुरक्षाबिहार की एक और नवोदित पार्टी है वीआईपी। इसके सुप्रीमो मुकेश सहनी 2020 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़ चुके हैं। उनके जीते विधायक तो अब उनका साथ छोड़ चुके हैं और उन्हें भी नीतीश कुमार ने दोबारा एमएलसी नहीं बनाया। इसलिए मंत्री बनने के बावजूद उन्हें पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का मौका नहीं मिला। इससे वे नीतीश कुमार के कटु आलोचक बन गए। नीतीश का साथ छोड़ने वाले या उनसे नाराज नेताओं को बीजेपी ने अपने पाले में करने का अभियान चलाया तो मुकेश सहनी भी तपाक से बीजेपी के करीब आ गए। आनन-फानन में केंद्र सरकार ने उन्हें वाई प्लस की सुरक्षा मुहैया करा दी। सहनी खुद को निषादों का नेता बताते हैं, जिनकी बिहार में तकरीबन 14-15 आबादी का दावा किया जाता रहा है। वे भी जल्दी ही औपचारिक रूप से एनडीए का हिस्सा बनने वाले हैं। चिराग पासवान को केंद्र ने दी को ‘जेड’ कैटेगरी की सुरक्षारामविलास पासवान के बेटे हैं चिराग पासवान। उनके पिता की बनाई लोक जनशक्ति पार्टी को चाचा पशुपति पारस ने तोड़ दिया। पारस बड़े गुट का नेता होने के कारण केंद्रीय मंत्री बन गए और चिराग अकेला पड़ जाने के कारण मंत्री पद के लाभ से वंचित रह गए थे। हालांकि चिराग ने 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश को उनकी औकात बता दी थी। चिराग की वजह से नीतीश की पार्टी के तकरीबन तीन दर्जन उम्मीदवार हार गए और जेडीयू 43 विधायकों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। उसी समय से चिराग सीएम नीतीश कुमार के कटु आलोचक रहे हैं। बीजेपी के साथ रहते नीतीश ने दबाव डाल कर चिराग को एनडीए से अलग करा दिया। इसके बावजूद चिराग ने नरेंद्र मोदी के नाम की माला का जाप जारी रखा। अब उन्हें भी जान का खतरा भांप कर केंद्र सरकार ने जेड कैटेगरी की सुरक्षा मुहैया करा दी है।नीतीश विरोधी आरसीपी को मिली ‘जेड’ कैटेगरी सुरक्षाजेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री रह चुके आरसीपी सिंह अब बीजेपी के साथ हैं। वे नीतीश कुमार के स्वजातीय यानी कुर्मी हैं। लव-कुश समीकरण में लव यानी कुर्मी बिरादरी की आबादी भी बिहार में 4-5 प्रतिशत है। नीतीश ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा, इसलिए वे भी मंत्री के रूप में कार्यकाल से पहले ही मुक्त हो गए। फिर उन्हें जेडीयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अब वे अपने कुनबे के साथ बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं। चूंकि नीतीश के वे भी मुखर विरोधी रहे हैं, इसलिए उन पर खतरे की आशंका देखते हुए केंद्र र्ने कैटेगरी सुरक्षा दे दी है। मंत्री पद छोड़ते ही संतोष मांझी को वाई प्लस सुरक्षाबिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे संतोष मांझी उर्फ संतोष सुमन ने हाल ही में नीतीश मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है। उनकी पार्टी हम अब महागठबंधन का हिस्सा भी नहीं है। संतोष का आरोप था कि उनकी पार्टी को जेडीयू में विलय का नीतीश ने दबाव बनाया। इसलिए उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। हम के चार विधायक हैं। अब वे नीतीश कुमार के मुखर विरोधी बन गए हैं। महागठबंधन से अलग होते ही उन पर खतरे का अलर्ट इंटेलीजेंस ने जारी किया। उसके बाद केंद्र सरकार ने वाई प्लस सुरक्षा मुहैया करा दी।रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क