बीजिंग: चीन की सरकार लगातार अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने में लगा हुआ है। चीन की परमाणु नीति में एक बड़ा बदलाव करते हुए राष्ट्रपति की ओर से परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण और विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। चीन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर दबाव से निपटने के लिए विश्व स्तरीय सेना बनाने की कोशिश में है। चीन का सैन्य आधुनिकीकरण खासतौर से उसके परमाणु विस्तार और वैश्विक विस्तारवादी नीति का हिस्सा है।इंटेलीजेंस सूत्रों के मुताबिक, परमाणु शक्ति बनने के बाद चीन केवल भूमि-आधारित बैलिस्टिक मिसाइलों तक ही सीमित था। उसके पास बहुत कम हवाई और समुद्री परमाणु हथियार थे। वहीं अमेरिका और रूस जैसे देशों के पास जमीन, हवा और समुद्र से हमला करने की क्षमता है। साथ ही परमाणु हमले से निपटने की भी क्षमता है। पिछले एक दशक में दुनिया में परमाणु हथियारों की बढ़ोतरी में चीन का बड़ा योगदान रहा है। 2022 में चीन के पास परमाणु बम 400 थे जो 2023 में 500 हो गए। चीन ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति से सहमत है लेकिन यह भी एक सच है कि किसी भी जमीनी हमले के समय पीपुल्स लिबरेशन आर्मी परमाणु हथियार का उपयोग कर सकती है। चीन बढ़ा रहा परमाणु हथियारखुफिया अनुमान के मुताबिक, अगले पांच साल में चीन के परमाणु हथियारों की संख्या 1,000 तक जा सकती है, जो विश्व के लिए चिंता बढ़ाने वाली है। चीन के हाल में तैयार किए गए हथियारों की बात की जाए तोडीएफ-41 शस्त्रागार एक बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 2020 में तैयार हुई है। इसकी अनुमानित परिचालन सीमा 12,000-15,000 किमी है। डीएफ-41 की परिचालन सीमा दुनिया की किसी भी अन्य मिसाइल की तुलना में अधिक है। हाल में आई एक अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, चीन की टाइप 094 अब नई जेएल-3 सबमरीन-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) से लैस हैं। जेएल-3 की रेंज करीब 10,000 किमी है यानी यह अमेरिका को छू सकता है। चीन ने अतिरिक्त दो टाइप 094 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां भी अपने बेड़े में शामिल की हैं। इनमें से प्रत्येक 12 जेएल-3 तक ले जा सकता है, जिससे देश को अनुमानित कुल 72 परमाणु हथियार मिलेंगे। चीन एक नया परमाणु-सक्षम सबसोनिक रणनीतिक स्टील्थ बॉम्बर, जियान एच-20 भी विकसित कर रहा है। इसकी रेंज 10,000 किमी है।