पटना: बिहार की राजनीति इन दिनों काफी गरमाहट भरी हो गई है। हो यह रहा है कि बयानों के जरिए नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को कहीं न कहीं टारगेट किया जा रहा है। इस टारगेट की राजनीति कहां से खेली जा रही है, यह स्पष्ट तो नहीं कहा जा सकता पर इतना तो कहा ही जा सकता है कि नीतीश कुमार के इमेज को धूमिल किया जा रहा। इस काम को एक तयशुदा रणनीति के तहत उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) रह रहकर कर रहे हैं। वैसे भी उपेंद्र कुशवाहा का यह हमला तो तब से ही शुरू हो गया था जब वह MLC के साथ-साथ जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी थे।मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे नीतीश कुमार!इधर, कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में एक नई तस्वीर पेश की जा रही है। कहा यह जा रहा है कि आज-कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार बीजेपी के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं। दरअसल, मसला यह था कि राज्य में दो बड़ी घटना को लेकर भारी उथल-पुथल था। सदन से लेकर सड़क तक मुद्दे उठाए जा रहे थे। धरना प्रदर्शन के जरिए बीजेपी का लगातार बिहार की सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। पहला मामला था गलवान के शहीद के पिता को घसीट कर ले जाना और उन्हें प्रताड़ित करने का। बाद में शहीद के पिता को जमानत भी लेनी पड़ी थी। इस मामले में नीतीश कुमार ने सीधे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की और पूरा मसले के बारे में जानकारी दी।दूसरी घटना घटी तमिलनाडु में बिहारियों की पिटाई के संभावित स्थिति को स्पष्ट समझने और केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने हेतु मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीधे गृह मंत्री अमित शाह से बात की। इन दोनों प्रसंगों को लेकर बिहार की राजनीति में यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या आरजेडी नेताओं के बयान से घबराकर नीतीश कुमार अब बीजेपी की तरफ पग भरने लगे हैं? इसके पहले भी महागठबंधन से नाता तोड़ कर बीजेपी संग सरकार बनाई गई थी। कुशवाहा इसलिए कर रहे नीतीश पर अटैकउपेंद्र कुशवाहा को भी इन संभावनाओं का भय सताने लगा है। वो कहते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगर बीजेपी के साथ चले गए तो वे किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे। किस मुंह से वह जनता के बीच जाएंगे और क्या जनता उनको भाषण देने देगी? नीतीश अगर फिर से वहीं काम करेंगे तो उनका जो भी कुछ बचा हुआ है वह स्वाहा हो जाएगा। वैसे वे जहां जाना चाहे जाएं, लेकिन इतना तो तय है कि उनका रहा-सहा भी जो राजनीति की यूएसपी बना हुआ है वह भी ध्वस्त हो जायेगा। ‘शोषक का चेहरा बदल गया’उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार अभी भी शोषण से मुक्त नहीं हुआ है। गरीब लोग शोषित अब भी हो रहे हैं। पिछले 35 साल में शोषक बदल गए हैं। शोषण जारी है। यह कहने का उनका इशारा आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की तरफ था। सत्ता में बदलाव जरूर हुआ है। मगर, उसका लाभ अति पिछड़ों, अनुसूचित जातियों और गरीबों को नहीं मिला। 15 साल तक सत्ता एक परिवार (लालू प्रसाद का परिवार) में सिमटी रही। फिर परिवर्तन हुआ तो नीतीश कुमार के हाथ में आ गई। ‘आरजेडी के आगे नीतीश ने किया सरेंडर’हालांकि आरजेडी के साथ महागठबंधन बनाने की हामी उपेंद्र कुशवाहा ने भी भरी थी, पर उनका कहना यह है कि गठबंधन में शामिल होने को लेकर सहमति दी थी। आरजेडी के आगे सरेंडर करने को थोड़े कहा था। स्थिति आज यही है कि सीएम तेजस्वी यादव हैं और उपमुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार काम कर रहे हैं। अब मंत्रिपरिषद विस्तार पर भी तेजस्वी यादव की चलेगी। वह चाहेंगे तो विस्तार होगा और नहीं चाहेंगे तो नहीं होगा। आज स्थिति यही है कि नीतीश कुमार ने समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस समेत सभी समाजवादी विचारधारा को आरजेडी का बंधक बना दिया। नीतीश कुमार के निष्प्रभावी रहने के कारण निरंतर जेडीयू कमजोर होती जा रही है। ‘मुखिया भी नहीं बन सकते नीतीश कुमार’हमलावर बने उपेंद्र कुशवाहा का कटाक्ष उनकी यात्रा की जनसभाओं में चलता रहा। कहा कि सरेंडर करने वाले नेता कभी मुखिया भी नहीं बन सकते। पीएम बनने का जहां तक सवाल है वह तब संभव था जब वे पार्टी को मजबूत बनाते। पार्टी की निरंतर कमजोर करते गए और दूसरों की बदौलत पीएम बनना चाहते हैं। जो नेता अपना उत्तरदायित्व अपनी पार्टी के किसी नेता को सौंपने के बजाय दूसरे दल के नेता को बतौर सीएम पेश करता हो उसे पीएम बनने का कोई हक भी नहीं। क्या कुशवाहा का पूरा प्लान?सो, उपेंद्र कुशवाहा की राजनीति का अपना एक मकसद होगा। इस मकसद के तहत इतना तो जरूर हो रहा कि वह नीतीश कुमार की इमेज के भंजक बन गए हैं। वहीं राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जरूर है कि कहीं वह केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर तो यह भूमिका नहीं निभा रहे हैं। ऐसा इसलिए कि बीजेपी भी बिहार में नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ी है। बहरहाल, उपेंद्र कुशवाहा के इस लगातार हमले पर कई सवाल खड़ा हो रहे हैं? क्या यह कहीं मिस्टर क्लीन या सुशासन बाबू के विरुद्ध सोची समझी रणनीति पर तो काम नहीं हो रहा है? क्या यह मिशन 2024 को लेकर बीजेपी के लिए प्लेटफार्म तो तैयार नहीं हो रहा है?