सुप्रीम कोर्ट बिहार में जातिगत जनगणना कराने के फैसले को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। कोर्ट इस पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा। एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए याचिका लगाई। पीठ में शामिल जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने मामले को शुक्रवार को सूचीबद्ध करने के आग्रह को स्वीकार कर लिया।Supreme Court agrees to give an urgent hearing to the petition challenging Bihar government’s notification for conducting the caste-based census in the state. Supreme Court says it will hear the matter on Friday, 13th January. pic.twitter.com/7p4DDIV5vJ— ANI (@ANI) January 11, 2023
जातिगत जनगणना की अधिसूचना और प्रक्रिया पर रोक की मांगयाचिका नालंदा के एक सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश कुमार ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि यह निर्णय केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। याचिका में जाति सर्वेक्षण के संबंध में बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा जारी अधिसूचना को रद्द करने और संबंधित अधिकारियों को रोकने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि जाति विन्यास के संबंध में संविधान में कोई प्रावधान नहीं है।असंवैधानिक होने के अलावा, संविधान की मूल संरचना के भी खिलाफअधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा द्वारा तैयार की गई याचिका में तर्क दिया गया है कि यह कदम अवैध, मनमाना, तर्कहीन, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक होने के अलावा, संविधान की मूल संरचना के खिलाफ भी है। इसमें आगे तर्क दिया गया कि जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा -3 के अनुसार, केंद्र को भारत के पूरे क्षेत्र या किसी भी हिस्से में जनगणना कराने का अधिकार है।राज्य सरकार के पास जाति जनगणना का कोई अधिकार नहींदलील में कहा गया है कि जनगणना अधिनियम, 1948 की योजना यह स्थापित करती है कि कानून में जाति जनगणना पर विचार नहीं किया गया है और राज्य सरकार के पास जाति जनगणना करने का कोई अधिकार नहीं है। इसमें दावा किया कि 6 जून, 2022 की अधिसूचना ने संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया, जो कानून के समक्ष समानता और कानून की समान सुरक्षा प्रदान करता है।याचिका में साथ ही कहा गया है कि राज्य सरकार कार्यकारी आदेशों द्वारा इस विषय पर कानून के अभाव में जाति जनगणना नहीं कर सकती है। बिहार राज्य में जाति जनगणना के लिए जारी अधिसूचना में वैधानिक स्वाद और संवैधानिक स्वीकृति का अभाव है। अब इस मामले पर शीर्ष कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी।