क्या विपक्षी एकता के लिए Nitish की कवायद होगी टांय-टांय फिस्स? BJP के तारकिशोर को बहुत बड़ी उम्मीद

नील कमल, पटना: क्या नीतीश कुमार राजनीति में अब अप्रसांगिक हो गए हैं? क्या नीतीश कुमार का 2024 में भाजपा मुक्त भारत बनाने का सपना टूट चुका है? क्या देश के अन्य राज्यों में क्षेत्रीय स्तर की पार्टियों की ओर से नीतीश कुमार को अलग रखने की कोशिश की जा रही है? दरअसल, ये आरोप बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके तार किशोर प्रसाद ने लगाया है। आजकल बिहार बीजेपी के नेता, नीतीश कुमार से खार खाए बैठे हैं।

विश्वसनीयता खो चुके हैं नीतीश कुमार: BJP

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीति में अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार तो लोहिया-कर्पूरी के गैरकांग्रेसवाद के सिद्धांत को कब के तिलांजलि दे चुके हैं। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए अब न्याय के साथ विकास, भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और अपराधियों पर नकेल कसने जैसे मुद्दे खत्म हो चुके हैं।

‘कुर्सी बचाने के लिए हर हथकंडे अपनाते नीतीश’

बीजेपी नेता तार किशोर प्रसाद ने कहा कि जोड़-तोड़ और वोटों के समीकरण के आधार पर राजनीति अपृश्य और अवांछित नहीं है। लेकिन कोई जब महज कुर्सी बचाने के लिए अनैतिक, सिद्धांतविहीन गठजोड़ पतन की ओर ले जाता है तो वो जनता की नजर में अपनी विश्वसनीयता खो देता है। आज की तारीख में तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्ता-लोलुप, सिद्धांतविहीन और अवसरवादी राजनीति के पर्याय हो गए हैं।

‘दूसरे क्षेत्रीय दल भी नहीं दे रहे नीतीश को भाव’

तार किशोर प्रसाद ने कहा कि 2013 में एनडीए से महागठबंधन और फिर 2017 में महागठबंधन से एनडीए में और 2022 में एक बार फिर महागठबंधन के साथ आने के सफर में नीतीश कुमार जी अपनी कुर्सी बचाने में सफल रहे। इतनी बार पलटी मारने के लिए उन्हें बार-बार अपनी नीतियों और सिद्धांतों से समझौता करना पड़ा है। यही वजह है कि बिहार की जनता के साथ वो देश के अन्य राज्यों में गैर बीजेपी क्षेत्रीय दलों की नजर में भी विश्वास के पात्र नहीं रहे। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जदयू की ओर से बार-बार नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताए जाने के बावजूद विश्वसनीयता के संकट के कारण ही नीतीश कुमार आज देश और प्रदेश की राजनीति में अप्रासंगिक हो गए हैं। देश का कोई भी क्षेत्रीय गैरभाजपा दल नीतीश कुमार के नेतृत्व व साथ स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में विपक्षी एकता की उनकी कवायद टांय-टांय फिस्स ही होने वाली है।