छोटा उदेपुर जिले के गनियाबाड़ी निवाली बामनिया भील को अपने पैरों पर पूरा भरोसा है। वे जंगली इलाके से वाडिया तक जाएंगे। जहां भीतरी इलाके में एक मतदान केंद्र है जहां करीब 200 से ज्यादा मतदाता वोट डालते हैं। उन्होंने कहा कि बूथ तक आने-जाने के लिए हम लोगों को कुल 14 किमी की पैदल दूरी तय करनी होगी। इसमें हमें घंटों लगेंगे, ”। फिर भी हमारा परिवार वोटिंग को लेकर पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि हमारे साथ खेंडा निवासी दादू भील भी चलेंगे। उनका कहना था कि वोटिंग करने के लिए हमें यात्रा में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता हैं, लेकिन फिर भी हम मतदान करते हैं। इसके पीछे हमारा लोकतंत्र में विश्वास होना है।
अहमदाबाद के अकबरनगर के हलचल भरे इलाके में रहने वाले 64 साल के मंजी रमानी ने भी सोमवार को होने वाली वोटिंग के अपना कार्यक्रम तय कर लिया है। उनका कहना है कि ‘जब मैं नौ साल का था तब एक दुर्घटना में मैंने अपने हाथ खो दिए थे। लेकिन मैंने 1980 के बाद से सभी चुनावों में मतदान किया है। हाथ गंवाने के चलते मुंह से पेंट करने वाले रमानी ने कहा कि हमें मतदान के अधिकार का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। तो वहीं अगले साल की शुरुआत में 100 की उम्र के होने जा रहे नवरंगपुरा के साथी शहर निवासी ईश्वरलाल दवे जो कि स्वतंत्रता सेनानी हैं। उनका कहना है कि आजादी के बाद से उन्होंने वोट देने का कोई अवसर कभी नहीं छोड़ा।