सिरसा: 2019 लोकसभा चुनाव में सिरसा सीट से विजयी होने वाले सुनीत दुग्गल का बीजेपी ने इस बार टिकट काट दिया। आम आदमी पार्टी से बीजेपी में शामिल हुए को इस बार बीजेपी ने मैदान में उतारा है। अशोक तंवर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बीजेपी ने को टिकट क्यों काटा इसके पीछे कई वजह बताई जा रही हैं। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या सुनीत दुग्गल पार्टी के इस फैसले को स्वीकार अशोक तंवर का साथ देती है या नहीं।अशोक तंवर को हरा बनीं थीं सांसदसुनीता दुग्गल ने 2019 के लोकसभा चुनावों में अशोक तंवर को पराजित किया था। बीजेपी की सुनीता दुग्गल को इस चुनाव में 714351 वोट पड़े थे। कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अशोक तंवर दूसरे स्थान पर रहे थे। उन्होंने 404433 मत हासिल किए थे। वहीं आईएनएलडी के चरणजीत रोडी सिर्फ 88093 वोट हासिल कर पाए थे।क्यों कटा सुनीता दुग्गल का टिकटबताया जा रहा है कि बीजेपी ने यहां अगल-अलग तीन सर्वे करवाए गए थे। जिसमें सुनीता दुग्गल को लेकर लोगों में गुस्सा दिखाई दिया। बीजेपी किसी भी सूरत में सीट गंवाने का रिस्क नहीं लेना चाहती थी। इसलिए आम आदमी पार्टी से छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए अशोक तंवर को बीजेपी ने यहां से उम्मीदवार बनाया गया।अफसरशाही भी रहा कारणबताया जा रहा है कि सुनीता दुग्गल का पांच सालों में अफसरशाही स्टाइल रहा। क्योंकि वे सांसद बनने से पहले अफसर थी। ये कार्यकर्ताओं को भाया नहीं। न ही वो कार्यकर्ताओं के बीच ज्यादा समय दे पाई। कार्यकर्ताओं से निरंतर बनाई गई दूरी और अफसरशाही स्टाइल के कारण कार्यकर्ता ही उन से कटने लगे। ऐसी स्थिति में आम मतदाता कैसे उनके साथ चलेंगे ये भी चिंता का विषय था। इसके अलावा वे पांच साल में व्यक्तिगत वोट बैंक खड़ा नहीं कर पाई।सिरसा में खरीद ली थी कोठीहालांकि सुनीता दुग्गल ने हूडा सेक्टर में अपनी खुद की कोठी भी खरीद ली थी। ताकि लोगों के बीच में रह कर उनके काम कर सके। लेकिन वो कार्यकर्ताओं को समय नहीं दे पाई। इसके अलावा किसान आंदोलन के दौरान किसानों के साथ कई बार हुई नोकझोंक भी उन पर भारी पड़ी। किसानों को उन्होंने आदर सत्कार देने की बजाय उनके साथ भी अफसरशाही रवैया अपनाया जिस कारण आम मतदाता में उनकी छवि नेगेटिव बनती गई।