राजेंद्र गुढ़ा-मदन दिलावर को क्यों किया गया सस्पेंड? विधानसभा में कैसे शुरू हुआ बवाल जानिए वजह

जयपुर : राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly Session) में सोमवार यानी 24 जुलाई को चौंकाने वाला घटनाक्रम हुआ। एक लाल डायरी को लेकर सदन से लेकर विधानसभा के बाहर तक भारी हंगामा देखने को मिला। विधायकों और मंत्रियों के बीच लात घूसे चले। तीन बार सदन की कार्रवाई को स्थगित करना पड़ा। बार-बार हो रहे बवाल के बाद संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) ने दो विधायकों राजेंद्र सिंह गुढ़ा (Rajendra Gudha) और मदन दिलावर (Madan Dilawar)को इस सत्र के अंत तक निलंबित करने का प्रस्ताव रखा। जिसे पास भी कर दिया गया। गुढ़ा और दिलावर दोनों को विधानसभा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इन विधायकों के निलंबन के विरोध में भी सदन में भारी हंगामा हुआ जिसके बाद सदन की कार्रवाई 2 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई। दोनों विधायकों को निलंबित करने बड़ी वजह क्या थी। शांति धारीवाल ने इसकी असल वजह बताई है।’मुझ पर सीधा हमला किया गया’संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि शून्यकाल के दौरान विधायक राजेंद्र गुढा पहले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से बहस करते रहे। बाद में वे उनकी तरफ बढ़े और हमला करने लगे। धारीवाल के मुताबिक, गुढ़ा ने उनके सामने का माइक मरोड़ा और हमले का प्रयास किया। इसी दौरान कांग्रेस विधायक रफीक खान और अन्य सदस्य बीच बचाव के लिए आ गए। रफीक खान और कांग्रेस के सदस्यों ने बड़ी मुश्किल से गुढ़ा को काबू किया। इस दौरान भी वे हाथ-पांव मारते रहे। धारीवाल का कहना है कि बीच बचाव नहीं होता तो कुछ भी हो सकता था। ऐसी हरकत बर्दाश्त करने लायक नहीं है। दिलावर भी मेरी तरफ लपके थे- धारीवालधारीवाल ने कहा कि मदन दिलावर तो अपनी आदत से मजबूर हैं। वे आए दिन ऐसी हरकतें करते रहते हैं। उन्हें कोई पहली बार निलंबित नहीं किया गया है, वो पहले भी कई बार निलंबित होते रहे हैं। दिलावर आसन की परवाह नहीं करते, कभी आसन का आदेश नहीं मानते। धारीवाल ने कहा कि सोमवार को भी मदन दिलावर उनकी तरफ हमला करने की नीयत से लपके थे। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने बचाया था। उन्होंने सदन की मर्यादा को भंग किया था। इसी कारण से दिलावर को निलंबित किया गया। ‘जो कुछ हुआ, उसके सबूत-गवाह मौजूद हैं’संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि सदन में जो भी हरकत हुई, उसकी पूरी रिकॉर्डिंग सदन में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद है। सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग में पुख्ता सबूत है जिसमें राजेंद्र गुढ़ा और मदन दिलावर के व्यवहार को देखा जा सकता है। इसके साथ ही सदन में पत्रकारों सहित अन्य वरिष्ठ नागरिक भी मौजूद थे जो सदन में मौजूद रहकर कार्रवाई को देख रहे थे। वे सब इस घटनाक्रम के गवाह हैं। जो कुछ हुआ, वह संसदीय परम्परा के विरुद्ध था। ऐसे में दोनों के खिलाफ कार्रवाई होना जरूरी थी।