नई दिल्ली: अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hingenburg) ने अडानी समूह (Adani Group)को लेकर खुलासे किए, जिसके बाद से अडानी को ताबड़तोड़ झटके लगे है। इस निगेटिव रिपोर्ट के आने के बाद से अडानी समूह को 146 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है। अडानी की कंपनियों का मार्केट वैल्यू करीब 60 फीसदी तक गिर चुके हैं। कंपनी के स्टॉक (Adani Shares) में गिरावट के चलते एक महीने में 12 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस गिरावट का असर () की निजी संपत्ति पर भी पड़ा है। गौतम अडानी का नेटवर्थ जो एक महीने पहले 127 अरब डॉलर के करीब था, गिरकर 35 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। अजानी के शेयरों की कीमत 70 से 80 फीसदी तक गिर चुकी है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने केवल अडानी समूह को ही नुकसान नहीं पहुंचाया है, बल्कि अडानी के निवेशकों को भी बड़ा झटका लगा है। अडानी समूह को लेकर हिंजनबर्ग के खुलासे और कंपनी के हालात के बीच एवरॉन मूवमेंट की खूब चर्चा हो रही है। अमेरिका के पूर्व ट्रेजरी सेक्रेटरी और हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट लैरी समर्स ने हाल ही में कहा है कि अडानी समूह पर आया संकट साल 2001 में अमेरिका के में हुए Enron Moment की याद दिलाता है। अब समझते हैं कि ये एनरॉन मूवमेंट है क्या और क्यों इसकी इतनी चर्चा हो रही हैं? क्या है एनरॉन मूवमेंट लैरी समर्स ने कहा कि अडानी विवाद भारत के लिए एनरॉन मूवमेंट की तरह है। हालांकि उन्होंने अडानी का नाम तो स्पष्ट तौर पर नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा उसी ओर था। आपको बता दें कि कमोबेश अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की तरह ही अमेरिका में एनरॉन मूवमेंट हुआ था। साल 2001 में इस अमेरिकी ऊर्जा कंपनी एनरॉन (Enron) में इसी तरह का घोटाला उजागर हुआ था। एनरॉन न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज की सबसे खास कंपनियों में से एक थी। इसे स्टॉक एक्सचेंज की डार्लिंग कंपनी कहा जाता था। साल 2000 के आखिरी में इस कंपनी के खातों में हेरफेर, कर्ज को छुपाने को छुपाने की कोशिशों की बात सामने आई। जिस तरह से हिंडनबर्ग ने अडानी समूह को लेकर खुलासा किया, ठीक उसी तरह से अमेरिका के शॉर्ट सेलर Jim Chanos ने एनरॉन को लेकर खुलासे किए थे। उन्हें पता चला था कि कंपनी के खातों में हेरफेर की थी। उन्हें पता चला था कि एनरॉन ने सिक्योरिटी एक्सचेंज कमीशन से अपने अकाउंटिंग के स्टैंडर्स को बदलने अपील की थी। उसकी कोशिश थी कि उसने जो कर्ज लिया है, उसके अकाउंटिंग से इस जानकारी को छुपाया जा सके।अडानी संकट के बीच क्यों आ रही है याद? जिम ने बड़ी बारीकी से एनरॉन की अकाउंटिंग में हेराफेरी, खामियां, कर्ज की जानकारियों को छुपाने की कोशिशों को उजागर करना शुरू कर दिया। जानकारी बाहर आने के बाद एनरॉन कंपनी के बड़े अधिकारियों को इस्तीफा देना पड़ा। कंपनी के शेयरों में गिरावट आई। कंपनी के शेयरों के दाम जो साल 2000 में 80-85 डॉलर के करीब थी वो साल 2001 में शून्य के करीब पहुंच गया। इनरॉन दिवालिया हो गई। इसे घोटाले के सामने आने के बाद अमेरिकी सरकार को अपने कानून में बदलाव करना पड़ा। जिसकी वजह से इसे अमेरिका के इतिहात में बड़ा बिंदू माना जाता है। अमेरिकी सरकार ने नया कानून Sarbanes-Oxley Act लाना पड़ा। अमेरिकी सरकार ने कॉरपोरेट अकाउंट, कॉरपोरेट फाइनेंस के तौर तरीकों को बदला गया। जिस तरह से अमेरिका के शॉट सेलर जेम्स चॉरस ने एनरॉन को लेकर खुलासा किया और कंपनी के शेयरों में गिरावट आई, वैसा ही कुछ हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद अडानी समूह को लेकर देखने को मिल रहा है। इन दोनों घटनाक्रम को देखने हुए इसकी चर्चा हो रही है। लेकिन अडानी समूह से जुड़े कई घटनाक्रमों पर आने वाले दिनों में हमारी नजर रहेगी।