अफगानिस्तान के हिन्दु कुश में क्यों आते हैं जोरदार भूकंप? दिल्ली तक तबाही का खतरा

काबुल : अफगानिस्तान के हिन्दु कुश क्षेत्र में 5.8 की तीव्रता से आए भूकंप के झटके शनिवार रात राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में महसूस किए गए। अफगानिस्तान के पर्वतीय क्षेत्र में रात नौ बजकर 31 मिनट पर भूकंप आया और दिल्ली तक लोग कांप गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदुकुश क्षेत्र में अक्षांश पर 36.38 डिग्री उत्तर और देशांतर पर 70.77 डिग्री पूर्व में स्थित था। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण अफगानिस्तान में अक्सर तेज भूकंप आते रहते हैं जो भारत और पाकिस्तान में भी महसूस किए जाते हैं। आइए जानते हैं कि इस इलाके में इतने भूकंप क्यों आते हैं?अफगानिस्तान एक ऐसे क्षेत्र में स्थित है जहां कई टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं, जिस वजह से यह भूकंपीय गतिविधियों के प्रति संवेदनशील है। यह हिन्दु कुश पहाड़ी इलाके में स्थित है जो अल्पाइड बेल्ट (Alpide Belt) का हिस्सा है जो पैसिफिक रिंग ऑफ फायर के बाद भूकंपीय रूप से दुनिया का दूसरा सबसे सक्रिय क्षेत्र है। यह बेल्ट पश्चिम में यूरेशियन और अफ्रीकी प्लेटों और पूर्व में इंडो-ऑस्ट्रेलियाई और यूरेशियन प्लेटों से मिलकर बनी है। प्लेटों के हिलने से आता है भूकंपजब इन प्लेटों में गतिविधि होती है, ये दबाव और तनाव पैदा करती हैं जिसके परिणामस्वरूप भूकंप आते हैं। यह क्षेत्र इंडियन, यूरेशियन और अरब टेक्टोनिक प्लेटों के बीच की सीमा पर स्थित है। इन प्लेटों के टकराने से भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भूकंप आते हैं। हिन्दु कुश पर्वत श्रृंखला अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होकर गुजरती है। अफगानिस्तान में पिछले साल आए भीषण भूकंप ने भयानक तबाही मचाई थी जिसमें 1 हजार लोगों की मौत और करीब 1500 घायल हुए थे। पाकिस्तान में भी महसूस हुए झटकेपाकिस्तान के भी कुछ हिस्सों में शनिवार को 5.8 तीव्रता का भूकंप आया जिसका केंद्र हिन्दु कुश पर्वत श्रृंखला में ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा पर 196 किलोमीटर की गहराई में केंद्रित था। इसके झटके लाहौर, इस्लामाबाद, रावलपिंडी, पेशावर और अन्य शहरों में महसूस किए गए। झटके के बाद लोग दहशत के चलते अपने घरों से बाहर निकल आए। पाकिस्तान अभी तक अवैध कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद के पास 2005 में आए भयानक भूकंप को नहीं भूल पाया है जिसमें 74 हजार लोग मारे गए थे।