वसुंधरा राजे क्यों मानी जा रही है सीएम रेस से बाहर ? जानिए पांच बड़े कारण जो समझा देंगी BJP की मंशा

जयपुर : राजस्थान में बीजेपी के नए मुख्यमंत्री को लेकर लगातार सियासी पारा गर्म है। अब मंगलवार को विधायक दल की बैठक होने के कयास लगाए जा रहे हैं। इस बीच सबसे बड़ा सवाल हैं, दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे क्या अब मुख्यमंत्री की रेस से बाहर हो चुकी है? यह हम नही बीजेपी के लोग भी कहने लगे है। इस दौरान सोमवार को राजेंद्र सिंह राठौड़ और किरोड़ी लाल मीणा भी यह स्पष्ट कर चुके कि राजस्थान में इस बार एकदम नया चेहरा ही मुख्यमंत्री होगा। क्योंकि छत्तीसगढ़ में नए चेहरे आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को CM बनाया गया। अब सियासत में चर्चा हो रही है कि, बीजेपी की दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस बार सीएम की रेस से क्यों बाहर हुई? इसके पीछे की पांच प्रमुख वजह मानी जा रही हैं। जिन्होंने वसुंधरा को मुख्यमंत्री की इस रेस बाहर कर दिया हैं। इस रिपोर्ट्स के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं। आखिर ऐसे कौन से पांच कारण है… 1. वसुंधरा राजे शुरू से मुख्यमंत्री के फ्रेम में नहीं थीसियासी गलियारों में चर्चा है कि वसुंधरा राजे शुरू से ही मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर फ्रेम में नहीं थी। बीजेपी ने काफी समय से वसुंधरा को साइड लाइन किए रखा। इसके कारण भी उन्होंने पार्टी से काफी दूरियां बना ली थी। ऐसे में कई मौके ऐसे दिखे, जहां वसुंधरा अलग-थलग दिखाई दी। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय भी नेता प्रतिपक्ष के पद पर बीजेपी ने वसुंधरा की जगह गुलाबचंद कटारिया को बैठाया। तब से ही वसुंधरा राजे साइड लाइन होना शुरू हो गई थी। चुनाव से पहले बीजेपी के कैंपेन, परिवर्तन संकल्प यात्रा के दौरान भी वसुंधरा बिल्कुल अलग-थलग दिखाई दी। पीएम मोदी ने भी अपने सभाओं में वसुंधरा राजे को कोई तवज्जो नहीं दिया। 2. वसुंधरा पर अशोक गहलोत से सांठगांठ के आरोपवसुंधरा को इस बार मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के पीछे एक वजह उनकी और अशोक गहलोत के बीच के सांठगांठ के आरोपों को भी माना जा रहा है। इसको लेकर वसुंधरा राजे पर कई बार आरोप भी लग चुके हैं। धौलपुर में बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी मीडिया से बातचीत के दौरान बड़ा बयान दिया। जिसमें उन्होंने कहा था कि वसुंधरा जी और कैलाश मेघवाल जी की वजह से ही उनकी सरकार बच पाई थी। गहलोत के इस बयान के बाद भाजपा में जमकर बवाल मचा। हालांकि वसुंधरा ने इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पलटवार किया और कहा कि गहलोत मेरा पॉलीटिकल करियर समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। 3. वर्ष 2018 में वसुंधरा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी थीवसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के पीछे तीसरा प्रमुख कारण वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में उनके खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी थी। इसमें यह नारा काफी फेमस हुआ। जिसमें ‘मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं’। ऐसे में माना जा रहा है कि उस समय वसुंधरा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के कारण ही बीजेपी को सत्ता से बाहर रहना पड़ा था। तब से बीजेपी ने जनता में उनके लिए अंसतोष को देखते हुए वसुंधरा से दूरी बनाना शुरू कर दिया था। 4. चुनाव परिणाम के बाद विधायकों की बाड़ाबंदी के आरोपवसुंधरा को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के पीछे चौथी वजह हाल ही में वसुंधरा राजे के बेटे सांसद दुष्यंत सिंह पर पांच विधायकों की बाड़ेबंदी करने का आरोप लगा हैं। इस मामले में किशनगंज विधायक ललित मीणा के पिता हेमराज मीणा जो, पूर्व विधायक रह चुके हैं। उन्होंने मीडिया में बड़ा आरोप लगाया कि सांसद दुष्यंत सिंह के इशारे पर उनके बेटे ललित मीणा समेत पांच विधायकों को जयपुर के एक होटल में बाड़ाबंदी के तहत रखा गया। जहां हेमराज ने होटल जाकर अपने बेटे को लेकर आए। हेमराज मीणा के इस आरोप के बाद बीजेपी में जमकर हड़कंप मच गया। इसको लेकर भी पार्टी हाई कमान के पास वसुंधरा राजे को लेकर गलत मैसेज गया है। 5. विधायकों से मुलाकात को लेकर हाई कमान में नाराजगीविधानसभा चुनाव के 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे काफी सक्रिय हो गई। इस दौरान वसुंधरा ने लगातार बीजेपी और निर्दलीय विधायकों से अपने निवास पर मिलने का सिलसिला जारी रखा। चर्चा है कि इसको लेकर उनकी हर एक गतिविधियों की रिपोर्ट पार्टी हाई कमान के पास जा रही थी। इसको लेकर बीजेपी ने विधायकों से नाराजगी जताई। साथ में निर्देश दिए कि विधायक केवल पार्टी कार्यालय में जाकर ही नेताओं से मुलाकात करेंगे। इसके बावजूद करीब एक दर्जन विधायक वसुंधरा के दिल्ली से लौटने के बाद मिलने पहुंचे। चर्चा है कि यह रिपोर्ट भी पार्टी हाई कमान के पास पहुंच गई है।