रिलायंस रिटेल में हिस्सेदारी क्यों बेच रहे मुकेश अंबानी, जानिए IPO से पहले यह क्या चल रहा?

नई दिल्ली : रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) में 8-10 फीसदी की और हिस्सेदारी बेच सकती है। जिससे कंपनी विस्तार कार्यक्रमों में पैसा लगा सके, कर्ज चुका सके और ग्रुप के रिटेल बिजनस के IPO की तैयारी कर सके। मामले से जुड़े 2 इंडस्ट्री लीडर्स ने यह जानकारी दी है। यह प्रोसेस 12 से 15 महीनों में पूरी हो सकती है। यह प्रोसेस रिलायंस रिटेल के प्रस्तावित आईपीओ के लिए महत्वपूर्ण होगी। इस प्रोसेस के बाद कंपनी का आईपीओ आने की संभावना है।क्यों बेची जाएगी हिस्सेदारीयह शेयर बिक्री महत्वपूर्ण है, क्योंकि 100 अरब डॉलर (8.25 लाख करोड़ रुपये) की मौजूदा वैल्यूएशन के चलते RRVL का आईपीओ साइज बहुत बड़ा होगा। बाजार में इतने बड़े ऑफर को एब्जॉर्ब करने के लिए लिक्विडिटी नहीं होगी। इसलिए कंपनी को लगता है कि 7-10 फीसदी हिस्सेदारी की और बिक्री आईपीओ साइज को मैनेजेबल बना देगी। ताकि आईपीओ की सफलता सुनिश्चित की जा सके।कम से कम 25% हो पब्लिक होल्डिंगभारत के लिस्टिंग नियमों के अनुसार किसी कंपनी की पब्लिक होल्डिंग, जिसमें वित्तीय निवेशकों की हिस्सेदारी भी शामिल है, कम से कम 25 फीसदी होनी चाहिए। इस समय रिलायंस रिटेल वैंचर्स लिमिटेड में करीब 11 फीसदी वैश्विक निवेशकों के पास है। इसमें कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी भी शामिल है, जिसने बुधवार को 0.99% हिस्सेदारी के लिए 8,278 करोड़ रुपये निवेश किये हैं। रिलांयस इंडस्ट्रीज की कंपनी में 89 फीसदी से कम हिस्सेदारी है। वहीं, कुछ शेयर छोटे निवेशकों के पास है।आईपीओ की सफलता के लिए जरूरी कदममौजूदा वैल्यूएशन पर अगर रिलायंस रिटेल आईपीओ के लिए जाती है, तो उसे करीब 1.15 लाख करोड़ कीमत के 14 फीसदी शेयरों को डायल्यूट करना होगा। यह एक बहुत बड़े आकार का आईपीओ होगा, जिसके सफल होने की संभावना कम रह सकती है। इसलिए रिलायंस इंडस्ट्रीज को आईपीओ से पहले आरआरवीएल में और इक्विटी बेचनी होगी, चाहे वह मौजूदा या नए निवेशकों को यह बेचे।