कानपुर: नेटफ्लिक्स पर मूवी रिलीज होने के बाद पंजाबी गायक () को हर कोई जानने लगा है। लेकिन क्या आप रम्पत सिंह भदौरिया को जानते हैं? अगर नहीं, तो कभी रम्पत हरामी (Rampat Harami) का नाम तो सुना ही होगा। पेशे से नौटंकी कलाकार रम्पत ने डबल मीनिंग का तड़का लगाकर अलग ही पहचान बनाई। पांच दशक तक मंच पर नौटंकी करने वाले रम्पत के यूट्यूब पर भी लाखों की संख्या में फॉलोअर्स हैं। रम्पत अब दुनिया में नहीं रहे। एक साल से डायलिसिस पर चल रहे रम्पत का कानपुर के हॉस्पिटल में ब्रेन हैमरेज से निधन हो गया। उनके नाम के पीछे हरामी लगने का भी किस्सा दिलचस्प है। कानपुर के कल्याणपुर में 1960 में जन्मे रम्पत सिंह भदौरिया ने नौटंकी में डबल मीनिंग संवाद और मंच पर अदाकारी से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई। पुलिस विभाग में सेवारत पिता के इकलौते बेटे रम्पत का मन शुरू से ही ऐक्टिंग और नौटंकी में रमता था। नौटंकी विधा में कई नामी कलाकारों के बीच पैर जमाकर अपनी पहचान बनाने वाले रम्पत ने बदलते वक्त के साथ कदमताल करते हुए मुकाम हासिल किया। नौटंकी-प्रेम पर घर से निकाले गए नौटंकी प्रेम के बीच पुलिसवाले पिता ने घर से निकाल दिया। फिर किशोरावस्था में ही वह नौटंकी कलाकार कृष्णा बाई के संपर्क में आए। उस समय दो मतलब वाली कॉमिडी की दुनिया में दादा कोंडके का नाम हर किसी की ज़ुबान पर था। रम्पत को दादा कोंडके का वो अंदाज़ भा गया। उनके कई कैसेट सुनने और देखने के बाद रम्पत ने तय किया कि वह भी डबल मीनिंग वाली कॉमिडी को ही अपनी कला में शामिल करेंगे। नौटंकी सिंगर से ही कर ली लव मैरिजसाल 1983-84 से रम्पत सिंह भदौरिया ने मंच से डबल मीनिंग बातों वाली नौटंकी शुरू कर दी। उनकी लोकप्रियता शुरू हो गई और इसी बीच रम्पत ने नौटंकी सिंगर रानीबाला से लव-मैरिज कर ली। रानी बाला को भी मंच पर रम्पत के साथ डबल मीनिंग कॉमिडी करने में कोई झिझक नहीं हुई। दोनों दर्शकों के सामने डबल मीनिंग बातें कर कलाकारी चलाने लगे। हरामी को अपने लिए खास मानते थे रम्पत के नाम में हरामी जुड़ने का भी अपना किस्सा है। बताया जाता है कि प्रयागराज में करीब 30 साल पहले नौटंकी कलाकारों की एक प्रतियोगिता हुई। स्टेज पर आने वाले हर कलाकार की दर्शक खूब खिंचाई कर रहे थे। तभी अनाउंसर कुमान ने कहा- तमाम हरामियों के बाद अब रम्पत हरामी आ रहे हैं। रम्पत को शुरू में तो यह अच्छा नहीं लगा लेकिन वक्त के साथ वह इसे अपनी कामयाबी का हिस्सा मानने लगे। उनका कहना था कि सिर पर ताज तो हरामी की वजह से ही मिला है। देशभर में फैलती गई रम्पत की धूम बीती सदी का आखिर आते-आते रम्पत को खूब शोहरत हासिल हो गई। वह कानपुर और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, हरियाणा और महाराष्ट्र तक उनके शो हुए। उनके शो में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती थी। वहीं एक बड़ा वर्ग ऐसा भी था जो छिपकर चोरी से उन्हें सुनता था। वक्त के साथ उनका परिवार भी उनके काम को लेकर सहज हो गया। डबल मीनिंग संवाद पर रम्पत की रायवह डबल मीनिंग संवाद को नौटंकी की कला में रुचि बढ़ाने और नए तौर-तरीके से प्रस्तुत करने की बात कहते थे। रम्पत इसे लोगों को तनाव मुक्त करने का भी साधन बताते थे। उनके जाने के बाद भी सोशल मीडिया पर उनके वीडियो उन्हें चहेतों के बीच जिंदा रखे हुए है।