चैंपियन बनने के बाद अर्जेंटीना के कप्तान लियोनेल मेसी की खुशी तो मानों सातवें आसमान पर पहुंच गया था। चैंपियन बनने के बाद जब मेसी विश्व कप की ट्रॉफी लेने गए तो मीर तमीम बिन हमद अल थानी ने उन्हें काला गाउन पहना दिया गया था। मेसी के इस गाउन पहने देख कई लोगों के मन में सवाल भी उठा होगी कि देश की जर्सी के ऊपर आखिर उन्होंने यह काला गाउन क्यों पहना है। दरअसल मेसी को जो गाउन पहनाया गया था वो कोई मामूली कपड़ा नहीं था।
काले गाउन की क्या है खासियत
लियोनेल मेसी को ट्रॉफी उठाते समय जो काला गाउन पहनाया गया था उसे बिष्ट कहा जाता है। इस गाउन को बड़े ही खास मटेरियल से तैयार किया जाता है। इसे बनाने में ऊंट के बाल और बकरी के ऊन का प्रयोग किया जाता है। मीर तमीम बिन हमद अल थानी भी रॉयल फैमिली से जुड़े हुए हैं। ऐसे में को जो गाउन पहनाया उससे उसकी खास को अहमियत समझा जा सकता है। विश्व चैंपियन बनने के साथ ही कतर में मेसी को एक खास रुतबा भी मिला।
विश्व कप फाइनल का रोमांच
अर्जेंटीना और फ्रांस की टीम जब फीफा विश्व कप के फाइनल मुकाबले के लिए मैदान पर उतरी सबकी नजरें लियोनेल मेसी और कीलियन एम्बाप्पे पर थी। इन दोनों धाकड़ खिलाड़ियों ने फाइनल में निराश भी नहीं किया और अपनी-अपनी टीम को चैंपियन बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा। मैच के पहले हाफ में अर्जेंटीना की टीम पहले हाफ में 2-0 की बढ़त लेने के बाद फ्रंट सीट पर थी लेकिन उसे क्या पता था कि एम्बाप्पे का तूफान तो अभी आना बाकी था।
दूसरे हाफ के आखिरी मिनटों में एम्बाप्पे ने 90 सेकेंड के भीतर फ्रांस को मैच में बराबरी पर ला दिया। अब सबकी नजरें 30 मिनट के एक्स्ट्रा टाइम पर आ टिकी। एक्स्ट्रा टाइम में अर्जेंटीना के लिए एक बार फिर से लियोनेल मेसी का जादू चला और उन्होंने गोल दाग कर मैच में अर्जेंटीना को 3-2 आगे कर दिया, लेकिन अर्जेंटीना की जीत के सामने एम्बाप्पे चट्टान बनकर खड़े थे। एक्सट्रा टाइम के दूसरे हाफ में उन्होंने हैट्रिक गोल दागकर मुकाबले को एक बार फिर से बराबरी पर ला दिया।
बराबरी पर मुकाबला छूटने के बाद अब चैंपियन कौन बनता इसका फैसला पेनल्टी शूटआउट में होना तय हुआ। मेसी और एम्बाप्पे ने इस फाइनल के अपनी जान लड़ा दी थी लेकिन पेनल्टी में किस्मत अर्जेंटीना के साथ था और 1986 के बाद अर्जेंटीना एक बार फिर से फीफा की ट्रॉफी को अपने नाम किया।