नई दिल्ली (dailyhindinews.com)। शिवसेना चुनाव चिन्ह पर हक किसका, शिंदे गुट का या ठाकरे गुट का? इसका फैसला अगले दो चार-दिनों में तो नहीं होने वाला है. आज (शनिवार, 8 अक्टूबर) ठाकरे गुट अपने पक्ष के तथ्यों से जुड़े कागजात भारत के चुनाव आयोग के सामने पेश करेगा.
शुक्रवार को तीसरी-चौथी बार ठाकरे गुट ने अपने कागजात पेश करने के लिए मोहलत मांगी. चुनाव आयोग ने आज दोपहर दो बजे तक की मोहलत दे दी है. शिंदे गुट अपने कागजात जमा कर चुका है. जब शिवसेना के दोनों गुटों के कागजात जमा होंगे तो चुनाव आयोग सोमवार से उनकी छानबीन शुरू करेगा.
इस बीच मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त दिल्ली से बाहर हैं. इसलिए अगले दो-चार दिनों तक फैसले की संभावनाएं कम हैं. लेकिन इस बीच बता दें कि अगर फैसला होने में देरी हुई तो दिक्कतें क्या होंगी. 3 नवंबर को अंधेरी विधानसभा का उपचुनाव है.
फिलहाल जो स्थिति है उसके तहत ठाकरे गुट ने दिवंगत विधायक रमेश लटके की पत्नी ऋतुजा लटके को शिवसेना का उम्मीदवार बनाया है. दूसरी तरफ शिंदे गुट ने बीजेपी उम्मीदवार मुरजी पटेल को समर्थन देने का फैसला किया है.
चुनाव चिन्ह पर EC जल्दी नहीं करेगा फैसला, अंधेरी चुनाव का क्या होगा?
अब सवाल है कि बिना चुनाव चिन्ह पर फैसला हुए अगर ठाकरे गुट ने अपने उम्मीदवार को धनुष बाण चुनाव चिन्ह देकर चुनाव लड़वाता है तो शिंदे गुट आपत्ति उठा सकता है. ऐसे में वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने TV9 मराठी से बात करते हुए इसे बड़ी समस्या नहीं बताया. उन्होंने पुराने केसेस का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव आयोग तत्काल के लिए यह चिन्ह ठाकरे गुट द्वारा इस्तेमाल में लाए जाने की इजाजत दे सकता है.
ठाकरे गुट को आज की डेडलाइन, शिंदे गुट का सवाल- कितना लोगे टाइम
इस बीच शिवसेना के ठाकरे गुट को आज दो बजे की डेडलाइन दी गई है. लेकिन जो खबर सामने आ रही है, उसके तहत ठाकरे गुट अभी भी कागजात रेडी नहीं कर पाया है. कल रात ठाकरे गुट ने दो मेल चुनाव आयोग और शिंदे गुट को भेजे हैं. इसमें कहा गया है कि शिंदे गुट के दावे की पड़ताल वे नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि कई तथ्य उनमें डिजिटल तौर से उपलब्ध नहीं हैं. शिंदे गुट इन सब बातों को बहाने बता रहा है और चुनाव आयोग से यह अपील करने जा रहा है कि ठाकरे गुट को मोहलत पे मोहलत, मोहलत पे मोहलत देना बंद करें.
किसके दावों में दम- तय करेगा इलेक्शन कमीशन
अब तक चुनाव आयोग को पेश किए गए दावे में एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव चिन्ह पर इस आधार को लेकर दावा किया है कि उनके पास शिवसेना के 55 में से 40 विधायक और लोकसभा के 18 में से 12 सांसदों का समर्थन है. इसके अलावा शिंदे गुट ने शिवसेना के 1 लाख, 66 हजार 764 प्राथमिक सदस्यों, शिवसेना के 144 पार्टी पदाधिकारियों और 11 राज्यों के राज्य प्रभारियों के सपोर्ट का दावा किया है.
दूसरी तरफ ठाकरे गुट चुनाव चिन्ह पर अपने दावे के लिए शिवसेना के पार्टी संविधान के मुताबिक इसकी सर्वोच्च संस्था के तौर पर स्वीकार की गई प्रतिनिधि सभा में अपने बहुमत का हवाला दे रही है. इस प्रतिनिधी सभा में करीब 250 सदस्य हैं. इसमें ठाकरे गुट का दावा है कि ज्यादातर सदस्य उनके साथ हैं. शिवसेना के संगठनात्मक ढांचे की बात करें तो तालुकाप्रमुख, उपतालुकाप्रमुख, जिला प्रमुख, उप जिलाप्रमुख, उपनेता और नेता के पद होते हैं. इनमें ठाकरे गुट अपना बहुमत होने का दावा कर रहा है. इसके अलावा ठाकरे गुट के दावे के मुताबिक 36 लाख प्राथमिक सदस्यो का बहुमत भी उनके साथ हैं.
EC चुनाव चिन्ह कर सकता है रद्द, कह सकता है कि करें नया चिन्ह सर्च
अब देखना यह है कि चुनाव आयोग इनमें से किसके दावों को दमदार मानता है. विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अगर चुनाव आयोग को ऐसा लगा कि दोनों के दावों में दम नहीं है, या दोनों के दावों का पलड़ा बराबरी पर टिकता है तो चुनाव आयोग चुनाव चिन्ह को रद्द भी कर सकता है और दोनों ही गुटों को नए चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव में जाने के आदेश दे सकता है.
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