बेंगलुरु: कर्नाटक में चुनाव नतीजों से पहले पर्दे के पीछे भी खेल शुरू हो चुका है। पार्टियां भले ही कहें कि बहुमत तो हमारा ही आ रहा है लेकिन हकीकत यह है कि सब बैकअप प्लान लेकर चल रहे हैं। कर्नाटक में पिछले 38 साल से जिसकी सत्ता होती है, उसकी चुनाव में विदाई हो जाती है। 2013 में कांग्रेस ने बहुमत के साथ सत्ता हासिल की लेकिन 2018 में वह 80 सीटों पर सिमट गई। वहीं 2008 में 110 सीटें हासिल करने वाली बीजेपी महज 40 सीटें पा सकी। इस बार एग्जिट पोल के नतीजों में कांग्रेस सबसे आगे है लेकिन कई एग्जिट पोल त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी कर रहे हैं। बीजेपी, कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) की संभावनाओं और सत्ता की पहेली सुलझाने वाले पांच समीकरणों को आइए समझते हैं। 1. कर्नाटक में विधानसभा की 224 सीटें हैं। राज्य में बहुमत का जादुई आंकड़ा 113 है। बीजेपी की संभावनाओं की बात करें तो पहला समीकरण यह है कि उसे 113 या उससे ज्यादा सीटें हासिल हो जाएं। ऐसे में उसे बहुमत के लिए किसी की मदद लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। एक और सूरत बनती है कि बीजेपी बहुमत के बेहद करीब पहुंचते हुए 105 से 110 सीटें जीत ले। ऐसे में उसे कुछ निर्दलीय विधायकों की बदौलत सत्ता हासिल हो सकती है। ऐसे में उसे जेडीएस से समर्थन मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 2. दूसरी ओर कांग्रेस अगर साफ बहुमत हासिल करते हुए 120 प्लस सीटें जीत जाती है तो उसकी सरकार आसानी से बन जाएगी। ऐसे में कांग्रेस चाहेगी कि बीजेपी 80 सीटों से ऊपर न बढ़ने पाए। क्योंकि अगर बीजेपी 100 के करीब पहुंचती है तो फिर कांग्रेस के कुछ विधायकों को अपने खेमे में लाने का प्रयास हो सकता है। एक और संभावना यह बन रही है कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरे और 105 या उससे ज्यादा सीटें हासिल कर ले। ऐसे में उसे जेडीएस का बिना शर्त समर्थन मिल सकता है। 3. जेडीएस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में सबसे कम सीटें जीतने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल कर ली थी। एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में जेडीएस ने तब 38 सीटें जीती थीं और कांग्रेस की मदद से एक साल तक सरकार चलाई। इस बार अगर जेडीएस 50 से ज्यादा सीटों पर कब्जा कर लेती है तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए उसका साथ लेना मजबूरी हो जाएगी। ऐसे में गठबंधन सरकार की सूरत उभरेगी और जेडीएस एक बार फिर मुख्यमंत्री के पद के लिए बारगेन कर सकती है। जेडीएस का किंगमेकर बनना इस शर्त पर निर्भर करेगा कि उसकी सीटों का आंकड़ा कहां तक पहुंचता है। अगर कुमारस्वामी की पार्टी 35 सीटें जीत जाती है तो एक बार फिर उसके पास सत्ता की चाबी रहने के पूरे आसार हैं।4. बीजेपी के लिए सबसे बुरी स्थिति तब हो सकती है जब वह 80 से कम सीटों पर जीते और जेडीएस 25 सीटें भी न हासिल कर पाए। ऐसे में जेडीएस की मदद लेने पर भी बीजेपी की सरकार नहीं बन पाएगी। एक और समीकरण यह बन सकता है कि बीजेपी 75 से कम सीटों पर जीते। ऐसे में जेडीएस कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने में देरी नहीं करेगा। 5. कांग्रेस के लिए सबसे बुरा समीकरण यह हो सकता है कि वह 100 सीटों के अंदर सिमट जाए और बीजेपी स्पष्ट बहुमत हासिल कर ले। नतीजों के बाद जेडीएस के लिए भी एक खतरे की आहट है। अगर लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी रहती है तो जेडीएस का सफाया हो सकता है। एक और सूरत यह हो सकती है कि जेडीएस 25 या कम सीटों पर सिमट जाए। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की तरफ से उसके विधायकों को पाले में लाने की कोशिश हो सकती है। ऐसे में जेडीएस के विधायकों ने सत्ता हासिल करने के लिए बगावती रुख अपनाया तो पार्टी टूट भी सकती है।