टाइटैनिक पनडुब्बी खोजने में खर्च हुए 9.8 करोड़ रुपए, अरबपतियों के शौक का बिल कौन भरेगा?

वॉशिंगटन: कनाडा के न्यूफाउंडलैंड के करीब टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने गई एक पनडुब्बी 18 जून को गायब हो गई थी। कई देशों की टीम ने रेसक्यू ऑपरेशन चलाया, जिसमें इस पनडुब्बी का मलबा खोजा गया। अमेरिकी कोस्ट गार्ड के मुताबिक प्रेशर के कारण इसमें विस्फोट हो गया और सभी पांच लोगों की मौत हो गई। अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, और यूके की सरकारों के जहाजों, विमानों और समुद्र में गोता लगाने वाले रोबोटों नें करोड़ों डॉलर खर्च कर यह रेस्क्यू मिशन चलाया। लेकिन अब बड़ा सवाल है कि पनडुब्बी और इसमें बैठे अरबपतियों की तलाश के लिए चलाए गए रेसक्यू मिशन का पैसा कौन देगा?18 जून को डुबकी लगाने के 45 मिनट बाद ही इस पनडुब्बी से संपर्क टूट गया था। तब इसमें 96 घंटे का ऑक्सीजन बचा हुआ था। इसकी तलाश में ऑपरेशन 19 जून को शुरू हुआ। तब इसमें लापता लोगों की खोज में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से विमान तैनात किए गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने कोस्ट गार्ड को तैनात किया। इसके अलावा सेना के तीन सी-17 परिवहन विमान के साथ-साथ एक ड्रोन भी सर्च ऑपरेशन में लगाया गया जो पानी के नीच 6 किमी नीचे स्पष्ट तस्वीरें खींचने में सक्षम है।कितना हुआ खर्चकनाडा का एक गश्ती विमान और दो नाव इस ऑपरेशन में लगे थे। इसके साथ पानी में तलाश करने वाला फ्रांस का विक्टर 6000 रोबोट भी था जो खोज में शामिल था। अमेरिकी तट रक्षक ने टाइटन का पता लगाने में खर्च का खुलासा करने से इनकार कर दिया है। लेकिन वॉशिंगटन पोस्ट ने पब्लिक में मौजूद जानकारी और सरकारी अधिकारियों के इंटरव्यू के आधार पर 12 लाख डॉलर (9.8 करोड़ रुपए) खर्च होने का अनुमान जताया है। नेशनल एसोसिएशन फॉर सर्च एंड रेस्क्यू के कार्यकारी निदेशक क्रिस बोयर के मुताबिक खर्च कई लाख डॉलर तक पहुंच सकता है।अरबपतियों को खोजने का बिल कौन भरेगापनडुब्बी से टाइटैनिक देखने के लिए जाने वाले लोगों में अरबपति और बड़े बिजनेसमैन शामिल थे। अभी यह साफ नहीं है कि इस सर्च ऑपरेशन का खर्च कौन देगा। लेकिन माना जा रहा है कि इसका खर्चा टैक्सपेयर की जेब से ही निकाला जाएगा। कोस्ट गार्ड के मुताबिक किसी भी बचाव अभियान को चलाने में खर्च हुई धनराशि की सरकार को प्रतिपूर्ति के लिए किसी निजी कंपनी या व्यक्ति से नहीं कहा जा सकता। रिटायर्ड एडमिरल पॉल जुकुनफ्ट ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर कोई अपनी नाव में बैठकर समुद्र में जाए और डूबने लगे तो हम उसे बचाएंगे। इसके लिए पैसा नहीं मांगेंगे। टाइटन की खोज ठीक इसी तरह है।