पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) भले दो साल बाद है पर मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी को लेकर अभी से ही रस्साकसी शुरू हो गई है। हैरतंगेज तो यह है कि मुख्यमंत्री () ने खुद साल 2025 के लिए बतौर सीएम कैंडिडेट (Tejashwi yadav) के नाम का ऐलान कर दिया। इसके बाद भी महागठबंधन के भीतर जेडीयू के साथ-साथ हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने सीएम पद की लड़ाई को कई एंगल दे दिए हैं। अभी तक तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन के कई नेताओं की ओर से की जा रही बयानबाजी को लेकर असहज थे, अब मुख्यमंत्री की उम्मीदवारी के नए दावों ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी। राजनीतिक गलियारे में इस नए विवाद के साथ मौजूदा सरकार की आयु पर भी सवाल उठने लगे हैं।क्या बोल गए जीतन राम मांझीपूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने संपर्क यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री पद की दावेदारी का एक नया राग अलापा है। अपने बेटे और बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन को मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त करार दिया। यही नहीं मांझी ने इशारों ही इशारों में तेजस्वी यादव पर भी बड़ा हमला बोल डाला। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा अधिक शिक्षित है, सीएम बनने योग्य है और मुख्यमंत्री उम्मीदवारों को भी पढ़ा सकता है। जीतन राम मांझी ने कहा कि संतोष सुमन नेट क्वालिफाइड हैं और एक प्रोफेसर हैं इसलिए वे उनको पढ़ा सकते हैं जिनका नाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रोजेक्ट किया है। उपेंद्र कुशवाहा ने भी किया तेजस्वी का विरोधजेडीयू नेता और एमएलसी उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने सबसे पहले मुखर होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस फैसले का विरोध किया जिसमें तेजस्वी का जिक्र किया गया। सीएम नीतीश ने साल 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ने की बात कही थी। इतिहास गवाह है कि यहीं से उपेंद्र कुशवाहा का जेडीयू में काउंटडाउन शुरू हो गया।हालांकि किसी मंच या सभा में उपेंद्र कुशवाहा ने खुद सीएम पद की दावेदारी नहीं की। फिर भी जिस तरह से उन्होंने जबरदस्त ढंग से सीएम नीतीश के उस बयान का विरोध किया जिसमें उन्होंने 2025 का दूल्हा तेजस्वी को मान लिया। कुशवाहा ने भले साफ तौर से कुछ नहीं कहा लेकिन इशारों-इशारों में यह जरूर कह दिया कि नीतीश कुमार सीएम उम्मीदवार नहीं रहेंगे तो वे इसके दावेदार होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि कुशवाहा के मुताबिक, वे जदयू में आए ही इस वादे पर थे कि आगे पार्टी को उन्हें ही संभालना है। कांग्रेस का रवैया भी तेजस्वी के खिलाफकैबिनेट विस्तार में हो रही देरी को लेकर कांग्रेस में भी नाराजगी है। वो अपने अधिकार को लेकर लगातार सीएम दरबार में गुहार लगा रही है। विधायकों की संख्या को लेकर कांग्रेस दो और मंत्री पद मांग रही। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने इस मसले पर सीधे नीतीश कुमार से बात की और कांग्रेस की ओर से मांगे गए दो मंत्री पद को जस्टिफाई भी किया। हालांकि, तेजस्वी यादव ने मंत्रिपरिषद विस्तार पर ना कहकर कांग्रेस आलाकमान को झटका दे डाला। बाद में तेजस्वी यादव विस्तार को लेकर तैयार भी हुए तो एक पद के लिए। इसको लेकर कांग्रेस में भी तेजस्वी यादव को लेकर नाराजगी दिख रही है। क्या कहते हैं बीजेपी नेता?बीजेपी प्रवक्ता डॉक्टर रामसागर सिंह कहते हैं कि चुनाव अभी भले दूर हो मगर सीएम पद को लेकर महागठबंधन में घमसान मचा है। सच यह है कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री स्वीकारने में जेडीयू, कांग्रेस और HAM को भी परेशानी हो रही है। हालांकि यह पद विधायकों की संख्या पर निर्भर करता है। बावजूद इसके तेजस्वी यादव के साथ रहने को लेकर कोई दल तैयार नहीं है। अगर मुख्यमंत्री पद को लेकर ऐसे ही रार रहा तो मध्यावधि चुनाव अवश्यंभावी है।