बेंगलुरु: इंग्लैंड ने भारत दौरे के लिए टीम का ऐलान किया है। टेस्ट सीरीज के लिए उसने 4 स्पिनरों को शामिल किया है, जिसमें से एक हैं शोएब बशीर। इस युवा मिस्ट्री स्पिनर को लेकर उसके कोच सिद्धार्थ लाहिड़ी का मानना है कि वह आंखें बद करके भी जहां चाहे गेंद कर सकता है। सिद्धार्थ का कहना है कि सीनियर खिलाड़ियों के साथ होना उनके शिष्य के लिए काफी फायदेमंद रहेगा, फिर चाहे वह इस दौरे पर खेले या नहीं। समरसेट के 20 साल के ऑफ स्पिनर को अचानक ही मंगलवार को इंग्लैंड के चयनकर्ताओं ने सीनियर टीम में शामिल कर दिया जिसके बाद सभी उनकी चर्चा कर रहे हैं और बशीर रातों रात स्टार बन गए हैं।शोएब बशीर कौन हैं और क्यों हैं भारत के खिलाफ इंग्लैंड के लिए बड़ा हथियार13 अक्टूबर 2003 को जन्मे बशीर भारत की स्पिन के अनुकूल परिस्थितियों में बहुत ही दमदार स्पिनर हो सकते हैं। युवा ऑफ स्पिनर ने 17 साल की उम्र में सरे के साथ अपने करियर की शुरुआत की और बर्कशायर अंडर-18 के लिए भी खेले। बशीर इसके बाद समरसेट के लिए खेलने गए और 19 साल की उम्र में प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया। उन्होंने इंग्लैंड के दिग्गज एलिस्टर कुक को न केवल परेशान किया, बल्कि आउट करते हुए हर किसी को हैरान कर दिया।मौका नहीं मिलेगा तो भी बशीर के लिए फायदाबचपन से उनके कोच रहे लाहिड़ी ने संतुष्टि की मुस्कान के साथ कहा, ‘यह उसके लिए शानदार मौका है। भले ही उसे भारत में खेलने का मौका नहीं मिले लेकिन एक महत्वपूर्ण दौरे पर सीनियर खिलाड़ियों के साथ रहना उसके लिए काफी फायदेमंद होगा।’ लाहिड़ी सर्रे में रॉयल्स अकादमी के प्रमुख हैं, उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘मुझे भरोसा है कुछ वर्षो पहले कई ने उसके टेस्ट क्रिकेट खेलने के बारे में नहीं सोचा होगा क्योंकि तब वह आयु वर्ग के ग्रुप क्रिकेट के लिए एक टीम में जगह बनाने के लिए जूझ रहा था।’बशीर बंद आंखों से कर सकता है बॉलिंगउन्होंने बशीर के बारे में बात करते हुए कहा, ‘यह अपने ग्रुप के सभी खिलाड़ियों से अलग था क्योंकि कभी कभार आप खेल का लुत्फ उठाना बंद कर देते हो और बाहरी मुद्दों जैसे टीम चयन, अन्य खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा आदि जैसे मामलों में उलझ जाते हो।’ लाहिड़ी ने कहा, ‘लेकिन शोएब (बशीर) गेंदबाजी करना पसंद करता था। वह आंखें बंद करके भी उस जगह गेंद डाल सकता था, जहां उसे यह डालनी होती। वह शाम करीब पांच बजे अकादमी आ जाता और अपना होमवर्क खत्म करके सीधे नेट में चला जाता।’उन्होंने कहा कि उभरते हुए क्रिकेटरों के लिए अकादमी में एक विशेष ट्रेनिंग करायी जाती है और बशीर काफी उत्सुकता से इसमें हिस्सा लेते। लाहिड़ी ने कहा, ‘हम इसे ‘वैरिएबल वोल्यूम’ अभ्यास कहते हैं जिसमें एक गेंदबाज को जूनियर, अपनी उम्र के और सीनियर खिलाड़ियों को गेंदबाजी करनी होती। लेकिन एक बार भी शोएब ने शिकायत नहीं की कि कोई खिलाड़ी उनके लिए कमजोर है या मजबूत है।’उन्होंने कहा, ‘वह सिर्फ अपने एक्शन पर काम करता और अपनी लाइन एवं लेंथ को और निरंतर करने पर ध्यान लगाता।’ कोच को लगता है कि बशीर की परवरिश का भी इसमें योगदान रहा जिनका परिवार कुछ समय पहले पाकिस्तान से इंग्लैंड में बस गया था। उन्होंने कहा, ‘इंग्लैंड में सरकारी स्कूल के बच्चों को खेलों में निजी स्कूल के बच्चों जितना अनुभव नहीं मिलता। शोएब जब छोटा था, वह इन मुश्किलों को देख चुका है। उसने देखा कि उसके माता-पिता और चाचा ने उसके सपने को साकार करने के लिए कितनी कड़ी मेहनत की है। उसके चाचा साजिद का उस पर काफी प्रभाव है। उसकी मां अकादमी में आती और घंटों तक उसे खेलते देखती।’ लाहिड़ी ने कहा, ‘मैंने साजिद से बात की तो वह रो रहा था, सभी भावुक थे।’