
एलएसी पर तनाव
पूर्वी लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कई इलाकों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच काफी समय से तनाव है। ये तनाव मई 2020 में गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही कायम है।
बॉर्डर के तनाव को कमतर दिखाने की कोशिश
चीन के अधिकारी एलएसी पर तनाव और संकट की गंभीरता को कमतर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। पेंटागन रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के अधिकारियों का जोर इस बात पर था कि एलएसी पर तनाव का असर भारत के साथ उसके द्विपक्षीय रिश्तों पर न पड़े।
चोर मचाए शोर
दरअसल, एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच कई दौर की सैन्य बातचीत हो चुकी है। कुछ इलाकों से दोनों सेनाएं पीछे हटी हैं लेकिन चीन के अड़ियल रवैये की वजह से अब भी कुछ इलाकों में तनाव है। कड़ाके की सर्दी में भी दोनों ओर से हजारों सैनिक तैनात हैं। अगर चीन वाकई भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए गंभीर होता तो पूर्वी लद्दाख पर सैन्य बातचीत में लचीला रुख अपनाता। लेकिन हकीकत इससे उलट है। यही वजह है कि वह ऐसा जताने की कोशिश कर रहा है कि एलएसी पर तनाव कोई गंभीर बात नहीं है। अमेरिका को भारत-चीन रिश्ते में दखल देने से दूर रहने की बीजिंग की चेतावनी एक तरह से ‘चोर मचाए शोर’ के जैसे ही है।
भारी सैन्य तैनाती
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में पूरे साल चीन ने एलएसी पर बड़ी तादाद में अपनी सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी को तैनात कर रखा था। इसके अलावा उसने एलएसी से सटे इलाकों में आक्रामक ढंग से इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी जारी रखा। पेंटागन रिपोर्ट में बताया गया है कि तनाव कम करने के लिए कई दौर की बातचीत में भी ‘मामूली प्रगति’ ही हुई क्योंकि दोनों ही पक्ष सीमा पर अपनी बढ़त को नहीं खोना चाहते हैं।
चेतावनी
जून में जब अमेरिका के एक टॉप जनरल ने भारत से लगती सीमा पर चीन की तरफ से आक्रामक इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण की आलोचना की थी। इसके जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने जनरल के बयान को ‘धत कर्म’ यानी ‘घृणित काम’ करार दिया था। इतना ही नहीं, प्रवक्ता ने कुछ अमेरिकी अधिकारियों की यह कहकर आलोचना की कि वे ‘आग में घी’ डालने की कोशिश कर रहे हैं। लिजियन ने जोर देकर कहा था कि बीजिंग और नई दिल्ली अपने मतभेदों को बातचीत के जरिए सही तरीके से निपटाने में ‘सक्षम’ हैं।
परमाणु खतरा
पेंटागन रिपोर्ट में इस बात को भी हाईलाइट किया गया है कि चीन किस तरह अपनी परमाणु ताकत को बढ़ा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2035 तक चीन के पास करीब 1,500 परमाणु बम होंगे जो फिलहाल 400 के करीब हैं। वहीं अमेरिका के पास 3,750 परमाणु बम हैं।
अमेरिका की बेचैनी
चीन जिस तरह से अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है और अपने घातक हथियारों के जखीरे में इजाफा कर रहा है उससे अमेरिका की चिंता बढ़ गई है। पेंटागन रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग का बढ़ता जखीरा अमेरिका के लिए अनिश्चितता पैदा कर रहा है। यह उसके लिए चुनौती है कि दो परमाणु ताकतों रूस और चीन दोनों से एक साथ कैसे निपटे और उन्हें किसी हिमाकत से रोके।