नई दिल्ली : म्यांमार के कोको द्वीप, बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के करीब, हाल के महीनों में एक रनवे का विस्तार, हैंगर और एक रडार स्टेशन सहित बहुत सारे सैन्य निर्माण दिखाई दे रहे हैं। कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यामांर अंडमान निकोबार से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित इस द्वीप पर खुफिया नौसेना बेस का निर्माण कर रहा है। हालांकि, इस बात से यह संदेह पैदा हो रहा है कि क्या इन बुनियादी ढांचा निर्माण के पीछे चीन है।2300 मीटर का नया रनवेफर्म मैक्सर टेक्नोलॉजीज की लेटेस्ट सैटेलाइन तस्वीरों में कोको द्वीप समूह पर नए सिरे से निर्माण गतिविधि दिखाती है। इसमें,ग्रेट कोको द्वीप पर एक नया लंबा 2,300 मीटर का रनवे भी शामिल है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत के पूर्वी तट से 1,200 किमी दूर हैं। हालांकि, कोको द्वीप रणनीतिक रूप से स्थित भारतीय द्वीपसमूह के उत्तर की ओर लगभग 42-55 किमी दूर स्थित है। लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही हैं चीन इस क्षेत्र में कोको द्वीप समूह का यूज भारत की जासूसी के लिए कर रहा है। हालांकि, इस बात की ठोस रूप से पुष्टि नहीं हो पाई है। भारत के लिए टेंशन की बातएक अधिकारी ने कहा कि अगर चीन कोको द्वीप समूह में बुनियादी ढांचे के निर्माण के पीछे सीधे तौर पर है, तो जाहिर तौर पर यह भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय होगा। भारत, अपनी ओर से, धीरे-धीरे 572-द्वीप अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर रहा है। इसमें आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और तटरक्षक बल को मिलाकर हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने के लिए एक ऑपरेशनल कमांडर के तहत थिएटर कमान बनाया है। चीन के साथ सीधे मुकाबला नहीं कर सकतानई दिल्ली ने म्यांमार के साथ सैन्य संबंधों को भी तेजी से बढ़ाया है। म्यांमार एकमात्र आसियान देश है जिसके साथ भारत 1,643 किमी भूमि और समुद्री सीमा साझा करता है। हालांकि, भारत चीन के वित्तीय और सैन्य साधनों का मुकाबला नहीं कर सकता। जिसने म्यांमार में जुंटा के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किए हैं। चीन ने मलक्का जलडमरूमध्य पर अपनी वर्तमान भारी निर्भरता के बजाय हिंद महासागर क्षेत्र तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्राप्त मजबूत कर रहा है। इसके लिए चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे के माध्यम से देश में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की हैं।