नई दिल्ली: शनिवार 15 अप्रैल की रात उस समय लोग IPL मैच देख रहे थे या फिर सोने की तैयारी में थे तभी धड़ाधड़ न्यूज फ्लैश होने लगी।प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को सटाकर गोली मारी गई थी। पहली बार लोगों को यकीन ही नहीं हुआ कि क्या सच में ऐसा हुआ है? बहुत जल्द लाइव वीडियो चारों ओर शेयर होने लगे। पुलिस के सुरक्षा घेरे को तोड़कर इस तरह गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। कई विपक्षी नेताओं ने कोर्ट की निगरानी में पूरे मामले की जांच की मांग की है। इस बीच, मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दो लोगों ने देश की सबसे बड़ी अदालत का दरवाजा खटखटाया है। सोशल मीडिया पर माहौल पक्ष और विपक्ष में बंटा हुआ है। ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि अतीक-अशरफ की हत्या के फौरन बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले वे दो लोग कौन हैं? 1. एडवोकेट विशाल तिवारीइन्होंने रविवार को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और मामले की जांच के लिए SC के पूर्व जज की अध्यक्षता में स्वतंत्र एक्सपर्ट कमेटी बनाने का अनुरोध किया। विशाल तिवारी ने कहा है कि अतीक-अशरफ की हत्या पुलिस कस्टडी में हुई है, इसकी जांच होनी चाहिए। एनकाउंटर कानून के राज के खिलाफ है और इससे शांति भंग होती है। साथ ही तिवारी की याचिका में 2017 के बाद से यूपी में हुई 183 एनकाउंटर की जांच का भी अनुरोध किया गया है। जिस दिन रात में साढ़े 10 बजे अतीक-अशरफ को मेडिकल के लिए प्रयागराज में ले जाया जा रहा था, कुछ घंटे पहले ही अतीक के बेटे को दफनाया गया था। विशाल तिवारी एक दशक से भी ज्यादा समय से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं। वह कोर्ट में जनहित से जुड़े मुद्दे उठाते रहे हैं। वह हैदराबाद में थे और वहीं से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने कहा कि पुलिस पर गंभीर आरोप लग रहे हैं इसलिए स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। उन्होंने सवाल किया है कि गरीब तबके से आने वाले हमलावरों के पास हथियार कहां से आए, फंडिंग कैसे हुई। यह षड्यंत्र लगता है कि वे पत्रकार बनकर आए और गोली चला दी। 2. अमिताभ ठाकुररिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ठाकुर ने अतीक-अशरफ मर्डर के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दूसरी याचिका दाखिल की है। लेटर पिटिशन में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले को सीबीआई को देने का आग्रह किया गया है। ठाकुर ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘जिस प्रकार से यूपी पुलिस ने अब तक इस मामले में लीपापोती की है या हल्के ढंग से लिया है। उससे इस हत्याकांड के उच्चस्तरीय राज्य पोषित षड्यंत्र होने की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में इस कांड की यूपी पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच संभव नहीं है और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के स्पष्ट निगरानी में सीबीआई द्वारा जांच किया जाना आवश्यक है।’अमिताभ ठाकुर लखनऊ में रहते हैं और अधिकार सेना नाम से पार्टी चलाते हैं। इन्होंने ट्विटर बायो में लिखा है कि अन्याय, अत्याचार और भ्रष्टाचार के खिलाफ अधिकार सेना है।