देहरादून: हादसे में सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बचाने में दिन-रात एक्सपर्ट्स की टीम लगी रही। टनल के बाहर मजदूरों के रिश्तेदार और परिवार के लोगों का इंतजार था तो अंदर जिंदगियां बचाने की जद्दोजहद। इस दौरान कई टीमों ने मजूदरों को बचाने में दिन रात एक कर दिए। इंटरनैशनल एक्सपर्ट्स के साथ कई टीमें काम में जुटी रहीं। टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्ससाइंटिस्ट और टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स हादसे के बाद फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डिक्स 20 नवंबर को घटनास्थल पर पहुंच गए थे। उन्होंने सभी को पॉजिटिव रहने की सलाह दी। वह भूमिगत निर्माण से जुड़े जोखिमों पर सलाह देते हैं। डिक्स सुरंग बनाने में दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों में से एक हैं।माइक्रो-टनलिंग एक्सपर्ट क्रिस कूपरक्रिस कूपर दशकों से एक माइक्रो-टनलिंग विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें खासतौर पर इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बुलाया गया। वह 18 नवंबर को मौके पर पहुंचे थे। ऐसे में इनका अनुभव बेहह ही कारगर साबित हुआ है. कूपर ने काम को तेजी से पूरा कराए जाने पर जोर दिया। वह ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। आईएएस अधिकारी नीरज खैरवालआईएएस अधिकारी नीरज खैरवाल को सिल्कयारा सुरंग ढहने की घटना का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था और वह पिछले 10 दिनों से बचाव के कामों की देखरेख और कमान संभाल रहे हैं। खैरवाल घंटे-घंटे पर रेस्क्यू स्थल से PMO और CMO को अपडेट देते रहे। वह उत्तराखंड सरकार में सचिव भी हैं।लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (रिटायर्ड), मेंबर, NDMAभारतीय सेना से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और NDMA टीम के सदस्य सैयद अता हसनैन उत्तराखंड सुरंग दुर्घटना में अथॉरिटी की भूमिका की देखरेख कर रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन पहले श्रीनगर में तैनात भारतीय सेना की जीओसी 15 कोर के सदस्य थे। इस अभियान में इनकी भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण रही है।रैट होल माइनर्स की टीममैन्युअल से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए छह रैट रैट होल माइनर्स को बुलाया गया। इन लोगों ने मजदूरों के निकालने के लिए बिछाई गई 800 एमएम पाइप के जरिए बाकी बच्चे हिस्से में खुदाई की। राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के साथ-साथ स्थानीय ड्रिलिंग विशेषज्ञ, पर्यावरण विशेषज्ञ को भी सुरंग हादसे में बचाव के लिए तैनात किया गया था।