ठंड का ‘सुरक्षा कवच’ यह मंकी कैप आखिर आई कहां से, दिलचस्प कहानी पढ़िए

monkey-cap

नई दिल्‍ली: ठंड बढ़ते ही मां एक नसीहत बार-बार दोहराने लगती है, सिर-कान ढककर रखना। बंगाली घरों में माएं बच्‍चों से कहती हैं, ‘टोपी पोर, ठंडा लेगे जाबे,’ मतलब ‘टोपी पहन लो नहीं तो सर्दी लग जाएगी।’ बंगाल में ठंड का एक कल्‍चर अलग है। वहां जोर फैशनेबल और स्‍टायलिश टोपियों पर नहीं, पर रहता है। सर्दी की आमद के साथ ही मंकी कैप निकल आती है और फरवरी में ठंड गुजरने तक रहती है। बंगालियों का मंकी कैप से जुड़ाव कुछ ऐसा है कि देश के बाकी हिस्‍सों में मंकी कैप को बंगाली टोपी कहते हैं। कड़ाके की ठंड में मंकी कैप पहनकर घूमते लोग आपको भारत के हर कोने में दिख जाएंगे। मंकी कैप से न सिर्फ आपका सिर पूरा तरह ढका रहता है, बल्कि कान और गले को भी ठंड नहीं लगती। केवल मुंह, नाक और आंखें खुली रहती हैं। भयंकर ठंड से बचाने वाली मंकी कैप आई कहां से? आइए इसकी कहानी जानते हैं।

मंकी कैप आखिर आई कहां से?मंकी कैप असल में बेलक्‍लावा का देसी रूप है। 1854 में क्रीमिया युद्ध के दौरान, बेलक्‍लावा की लड़ाई चल रही थी। ब्रिटिश सैनिक वहां की भयानक ठंड सहन नहीं कर पा रहे थे। जब यह खबर ब्रिटेन तक पहुंची तो लोगों ने सैनिकों के लिए कपड़े बुनने शुरू कर दिए। उन कपड़ों में ऐसी टोपियां भी थीं जो सैनिक अपने हेलमेट के नीचे पहन सकते थे। सैनिकों ने उन टोपियों को बेलक्‍लावा ही कहना शुरू कर दिया। सर्द इलाकों में ड्यूटी करने वाले सैनिकों के बीच बेलक्‍लावा खासी लोकप्रिय हुई। आज भी दुनियाभर की सेनाओं में बेलक्‍लावा या उसके आल्‍टर्ड वर्जन खूब पहने जाते हैं। ठंड में गर्मी पाने से इतर बेलक्‍लावा का इस्‍तेमाल कई तरह के खेलों में होता है। अपराधियों ने भी बेलक्‍लावा का जमकर इस्‍तेमाल किया। थ्री-होल बेलक्‍लावा में केवल आंखों और मुंह के लिए छेद होते हैं। डकैती के लिए ऐसे बेलक्‍लावा खूब इस्‍तेमाल होते हैं।

भारत में मंकी कैपहमारे यहां बेलक्‍लावा का चलन अंग्रेज ही लेकर आए। अंग्रेजों ने बेलक्‍लावा को थोड़ा अलग लुक दिया और भारत में इसे मंकी कैप बनाकर उतारा। कई इतिहासकार मंकी कैप का जनक ब्रिटिश को ही मानते हैं। भारत में फिल्‍मों से लेकर मीडिया के अन्‍य माध्‍यमों में मंकी कैप का खूब इस्‍तेमाल हुआ है। बंगाल से मंकी कैप का इतना खास जुड़ाव कैसे हुआ, यह साफ नहीं। पिछले साल जब कोविड महामारी चरम पर थी, सोशल मीडिया पर बेलक्‍लावा को लेकर खूब चर्चा चली।