नई दिल्ली: H3N2 इन्फ्लुएंजा ने देश में हड़कंप मचा दिया है। इसके कारण कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है। यह देश के कई राज्यों में पैर पसार चुका है। इनमें केरल, पंजाब और हरियाणा शामिल हैं। कोरोना के बाद H3N2 वायरस का कहर लोगों को डराने लगा है। इसे देखते हुए सरकार ने इन्फ्लुएंजा के बारे में कई बड़ी बातें बताई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तमाम राज्यों में स्थिति पर नजर बनाए हुए है। आईसीएमआर ने एडवाइजरी जारी की है। इसमें लोगों को एहतियात के तरीकों के बारे में बताया गया है। सबसे बड़ी बात यह कही गई है कि मार्च के अंत तक सीजनल इन्फ्लुएंजा में गिरावट आने के आसार हैं। देशभर में पैर पसार रहा है H3N2 इन्फ्लुएंजा देश में H3N2 इन्फ्लुएंजा के करीब 100 मामले सामने आए है। इनमें से कुछ H1N1 के हैं। अभी इन दो तरह के इन्फ्लुएंजा वायरस के बारे में ही पता लगा है। इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अहम जानकारी दी गई है। उसने बताया है कि देश के तमाम राज्यों में मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग की जा रही है। आईडीएसपी नेटवर्क के जरिये रियल टाइम बेसिस पर ऐसा किया जा रहा है। खासतौर सीजनल इन्फ्लुएंजा के H3N2 सबटाइप के मामलों पर नजर है। इस बारे में आईसीएमआर ने एडवाइजरी जारी की है। इसमें बताया गया है कि लोग इन्फ्लुएंजा से बचने के लिए किस तरह के एहतियात बरते। स्वास्थ्य मंत्रलाय का कहना है कि मार्च के अंत तक इन्फ्लुएंजा में गिरावट आने की उम्मीद है। क्या कहा था ICMR ने? इस महीने की शुरुआत में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कहा था कि भारत में पिछले दो-तीन महीने से लगातार खांसी और किसी-किसी मामले में बुखार के साथ खांसी का कारण ‘इन्फ्लुएंजा ए’ का सबटाइप ‘एच3एन2’ है। वहीं, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने देशभर में बढ़ते खासी और जुकाम के मामलों में एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल को लेकर आगाह किया था।H3N2 वायरस इन्फ्लुएंजा A का सबटाइप है। इसे हांगकांग फ्लू भी कहते हैं। सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार, गले में दर्द की समस्या इसके प्रमुख लक्षण हैं। ज्यादातर मामलों में यह वायरस शरीर को बीमारियों से बचाने वाले वाइट ब्लड सेल्स (WBC) को कम करता है। इसके चलते ल्यूकोपीनिया हो जाता है। इम्यूनिटी कमजोर होने पर वायरस गंभीर स्थिति पैदा कर देता है।H3N2 वायरस के कारण आने वाला बुखार ठीक होने में 5-7 दिन का समय लगता है। खांसी जाने में 3-4 हफ्तों का वक्त लग जाता है। इसमें पैरासिटामोल ली जा सकती है। डॉक्टरों ने इस वायरल इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक दवाएं नहीं लेने की सलाह दी है। उनके मुताबिक, इससे शरीर के अंदर एंटीबायोटिक रजिस्टेंस पैदा हो सकता है। इस कारण परेशानी और बढ़ सकती है।