क्या थी यूएसएस लिबर्टी घटना
यूएसएस लिबर्टी की घटना 8 जून 1967 को सिक्स डे वॉर के दौरान हुई थी। तब अमेरिकी नौसेना के तकनीकी अनुसंधान जहाज (जासूसी जहाज) यूएसएस लिबर्टी पर इजरायली वायु सेना के लड़ाकू विमान और इजारायली नौसेना के मोटर टारपीडो बोट ने हमला किया था। इजरायल के इस संयुक्त हमले में यूएसएस लिबर्टी के 34 नौसैनिक मारे गए थे। मरने वालों में अमेरिकी नौसेना के अधिकारी, नाविक, मरीन, और एक सिविल एनएसए कर्मचारी शामिल था। इस हमले में यूएसएस लिबर्टी के चालक दल के 171 सदस्य घायल हो गए थे और जहाज गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। बड़ी बात यह थी कि इस हमले के दौरान अमेरिकी नौसेना का यह युद्धपोत सिनाई प्रायद्वीप के उत्तर में अंतरराष्ट्रीय जल में था।
दोनों देशों ने भ्रम को बताया था हमले का कारण
यह युद्धपोत मिस्र के अरिश शहर से उत्तर पश्चिम में 47 किलोमीटर की दूरी पर था। इजरायल ने हमले के लिए माफी मांगते हुए कहा था कि उसने यूएसएस लिबर्टी पर गलती से मिस्र का जहाज समझकर हमला कर दिया गया था। इजरायल और अमेरिकी दोनों सरकारों ने जांच की और रिपोर्ट जारी कर बताया कि जहाज की पहचान के बारे में इजरायल को भ्रम हो गया था। इसी कारण इजरायली वायु सेना और नौसेना ने हमले की गलती की। हालांकि हमले में जीवित बचे लोगों सहित अन्य विशेषज्ञों ने इन सराकरी निष्कर्षों को खारिज कर दिया था। उन्होंने दावा किया था कि हमला जानबूझकर किया गया था।
इजरायल को देना पड़ा था भारी भरकम मुआवजा
मई 1968 में, इजरायल सरकार ने यूएसएस लिबर्टी हमले में मारे गए 34 लोगों के परिवारों के मुआवजे के रूप में अमेरिकी सरकार को 3.32 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2021 में 25.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर) का भुगतान किया था। मार्च 1969 में, इजरायल ने घायल हुए नौसैनिकों को 3.57 मिलियन डॉलर (2021 में 26.4 मिलियन डॉलर) का और भुगतान किया। दिसंबर 1980 में इजरायल ने यूएसएस लिबर्टी को हुए भौतिक क्षति के एवज में फाइनल सेटलमेंट के तौर पर 6 मिलियन डॉलर देने पर सहमत हुआ था। इसके साथ 13 साल का ब्याज भी देना पड़ा था।