पटना: आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व डेप्युटी सीएम चक्रव्यूह में फंसते दिख रहे हैं। सियासी घेरेबंदी के अलावा में दाखिल सीबीआई की पूरक चार्जशीट तेजस्वी के गले की फांस बन गई है। तेजस्वी यादव 17 अगस्त से बिहार के जिलों के दौरे पर निकलने की घोषणा कर चुके हैं। इसकी तैयारियां भी आरजेडी में चल रही हैं। पार्टी जिलाध्यक्षों की बैठकों में यात्रा के बारे में बताया-समझाया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में हुई चूकों से बचने की सलाह दी जा रही है। आरजेडी की चिंता लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बढ़ गई है। मजबूत गठबंधन और आरजेडी के बड़े जनाधार के बावजूद 23 में सिर्फ चार सीटों पर ही पार्टी प्रत्याशियों की जीत से चिंता स्वाभाविक है। आरजेडी की चिंता जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी बढ़ा दी है। प्रशांत के निशाने पर सबसे अधिक तेजस्वी ही दिख रहे हैं। उनकी रणनीति जो अब तक सामने आई है, उससे आरजेडी के आधार वोट बैंक में बिखराव के खतरे बढ़ गए हैं। जेडीयू और भाजपा तो आरजेडी के पुराने दुश्मन ही रहे हैं।तेजस्वी पर कसा अब ईडी का शिकंजा (लैंड फॉर जॉब) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जो पूरक चार्जशीट दाखिल किया है, उसमें तेजस्वी यादव का भी नाम है। ईडी ने उन पर मनी लांड्रिंग का मामला कायम किया है। चार्जशीट में तेजस्वी यादव के अलावा उनके पिता लालू प्रसाद यादव समेत 11 लोगों आरोपी बनाए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी। तेजस्वी यादव इसे अपने परिवार के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी की रूटीन कार्रवाई बता रहे हैं, लेकिन उन्हें इस मामले में गिरफ्तारी का भय भी सता रहा है। इस मामले की दो केंद्रीय एजेंसियां-सीबीआई और ईडी जांच कर रही है। शराब घोटाले में जिस तरह अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई और उनकी जेल यात्रा लंबी होती जा रही है, उससे तेजस्वी यादव भी भीतर ही भीतर डरे हुए हैं।प्रशांत किशोर के निशाने पर तेजस्वीजन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने में जिस तरह का भूचाल खड़ा किया है, उसकी आहट अब स्पष्ट सभी राजनीतिक दल महसूस कर रहे हैं। सबसे अधिक चिंता आरजेडी कैंप में ही है। इसलिए कि उनके निशाने पर सबसे अधिक तेजस्वी यादव ही दिखते हैं। तेजस्वी की योग्यता और उनके परिवार के शासन काल की नाकामियों को लेकर प्रशांत किशोर लोगों को न सिर्फ जागरूक करते रहे हैं, बल्कि आरजेडी के आधार वोट में सेंध लगाने का पुख्ता इंतजाम भी कर चुके हैं। आरजेडी मुसलमानों को अपना आधार वोट मानता है। आरजेडी के एम-वाई समीकरण का एक घटक मुसलमान ही हैं। प्रशांत ने रणनीतिक ढंग से मुसलमानों को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में 75 सीटें देने का ऐलान कर आरजेडी नेताओं की नींद उड़ा दी है। इतना ही नहीं, प्रशांत किशोर से जन सुराज से जिस तरह आरजेडी के नेता जुड़ने लगे हैं, वह भी पार्टी के लिए चिंता का विषय है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की चेतावनी को दरकिनार कर आरजेडी के नेता जन सुराज से जुड़ रहे हैं। आरजेडी ने इस आरोप में अपने कई नेताओं को पार्टी से निकाला भी है। प्रशांत की सभाओं में जुटती भीड़ से आरजेडी भारी टेंशन में हैं।NDA की पार्टियां तो पहले से विरोधीएनडीए में शामिल भाजपा, जेडीयू, लोजपा, हम (से) और आरएलएम के नेता तो पहले से तेजस्वी के विरोध में खड़े हैं। भाजपा क नेता तो यहां तक कहने लगे हैं कि सीबीआई और ईडी से तेजस्वी का बचना मुश्किल है। उनका जेल जाना तय है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह के हमले तेजस्वी और उनके परिवार के खिलाफ किए, उससे ही स्पष्ट है कि जेडीयू तेजस्वी के प्रति किसी तरह की नरमी के मूड में नहीं है। तेजस्वी और उनके पिता लालू यादव को अब भी उम्मीद है कि नीतीश कुमार विपक्षी इंडिया ब्लॉक के साथ आ जाएंगे। कभी खुले तौर पर आरजेडी की ओर से नीतीश को इसका आमंत्रण मिलता है तो कभी आरजेडी नेताओं को एनडीए से उनके ऊब कर वापस इंडिया ब्लॉक में लौट आने की उम्मीद दिखती है। पर, मौजूदा स्थिति में यह संभव नहीं दिखता, क्योंकि भाजपा ने अगला चुनाव नीतीश के नेतृत्व में ही लड़ने का ऐलान कर उनके मन की मुराद पूरी कर दी है। संसद में भी जेडीयू और भाजपा की युगलबंदी देख कर आरजेडी को जरूर निराशा हुई होगी। इस तरह तेजस्वी यादव अब चक्रव्यूह में उलझे दिख रहे हैं। इससे निकलने के विकल्पों पर आरजेडी में मंथन चल रहा है।