नई दिल्ली: शेयर बाजार में दो दिन धमाकेदार रहे। शुक्रवार और सोमवार के दो सत्रों में सेंसेक्स और निफ्टी ने लंबी छलांग लगाई। लेकिन, जिस बात का डर था मंगलवार को वही हो गया। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 105.79 अंक यानी 0.13 फीसदी टूटकर 80,004.06 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 27.40 अंक या 0.11 फीसदी फिसलकर 24,194.50 अंक पर बंद हुआ। इस तरह बाजार में आई टेम्परेरी खुशी फुर्र हो गई। जानकार इसकी वजह पहले ही जानते थे। दो दिन की बढ़त के टिकाऊ न होने को लेकर वे अशंका जाहिर कर चुके थे।
जानकारों के मुताबिक, भारतीय कंपनियों की ग्रोथ में कमी देखी गई है। दूसरी तिमाही में अनियमित बारिश और चुनाव जैसे कारणों से यह गिरावट आई है। पूरे साल के अनुमानों में 3-5% की कमी की गई है। तीसरी तिमाही के नतीजे महत्वपूर्ण होंगे। उपभोग क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं से खपत बढ़ सकती है।दो सत्रों की तेजी का क्या था मुख्य कारण?शुक्रवार को बाजार इस उम्मीद में चढ़ा था कि महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाला महायुति गठबंधन सत्ता में आएगा। सोमवार को जब इसने उम्मीद से तगड़ी जीत दर्ज की तो बाजार ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
रोहा एसेट मैनेजर्स एलएलपी के प्रमुख दलजीत सिंह कोहली ने दो दिन की तेजी पर पहले ही बोला था कि यह कहना मुश्किल है कि यह टिकाऊ है या नहीं। कारण है कि बाजार बुनियादी बातों पर वापस आ जाएगा। उनके मुताबिक, एक या दो दिन का उतार-चढ़ाव समाचार प्रवाह या घटनाओं से संबंधित हो सकता है। ज्यादातर कंपनियों और सेक्टरों ने ग्रोथ की रफ्तार में गिरावट दिखाई है।
ऐसे में तीसरी तिमाही अहम है। खपत से जुड़े सेक्टर करेंगे अच्छा कोहली ने खपत से जुड़े क्षेत्रों में बेहतरी की उम्मीद जताई है। खासकर त्योहारी सीजन के कारण। उन्हें उम्मीद है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं और अच्छे मानसून के कारण खपत बढ़ेगी। वह फार्मा और केमिकल सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन की भी उम्मीद करते हैं। हालांकि, बैंकिंग सेक्टर को लेकर वे सतर्क हैं।
बढ़ती फंड लागत और खुदरा कर्जों की गुणवत्ता को लेकर उन्होंने चिंता जताई। कोहली ने हाउसिंग फाइनेंस और पावर फाइनेंस कंपनियों को तरजीह दी है। इन क्षेत्रों में सरकारी निवेश के कारण विकास की संभावनाएं हैं। ज्यादा वैल्यूएशन से भी बनी हुई है चिंंता बीएनपी पारिबा एसेट मैनेजमेंट के चीफ मार्केट स्ट्रैटजिस्ट डैनियल मॉरिस के मुताबिक, विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों के ऊंचे मूल्यांकन को लेकर चिंतित हैं।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि जारी रहने और महंगाई दर ऊंची बने रहने की उम्मीद है। फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है। अमेरिकी डॉलर में मजबूती और सोने में तेजी की संभावना है। अमेरिकी शेयर बाजार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।