क्या है सर क्रीक विवाद? जिस पर भारत ने पाकिस्तान को सख्त जवाब दिया

नई दिल्ली: पाकिस्तान और भारत के बीच दशकों से चला आ रहा सर क्रीक विवाद () एक बार फिर चर्चा में हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान ने भारत की ओर से गुजरात के सर क्रीक क्षेत्र में बनवाई जा रही सीमा चौकियों के निर्माण पर आपत्ति जताई है। पाकिस्‍तान का कहना है कि इस सीमा रेखा को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद चल रहा है। ऐसे में भारत की ओर से चौकियों का निर्माण करवाना पूरी तरह गलत है। पाकिस्तान के आरोप पर भारत की ओर से सख्त जवाब दिया गया है। भारत का कहना है कि निर्माण उसके क्षेत्र में हो रहा है और यह क्षेत्र पूरी तरह से भारत का है। आइए जानते हैं कि सरक्रीक क्या है और भारत और पाकिस्तान के बीच इसको लेकर क्यों विवाद है? क्या है सर क्रीक? सर क्रीक भारत और पाकिस्तान के बीच 96 किलोमीटर लंबी एक जल की पट्टी है। यह क्षेत्र पाकिस्तान के सिंध प्रांत औऱ भारत के गुजरात राज्य के बीच स्थित है। दोनों देशों की आजादी से पूर्व यह क्षेत्र ब्रिटिश भारत की बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा था। इस क्षेत्र में ‘सीरी’ मछली के पाए जाने के कारण इसका नाम सर क्रीक रखा गया। इसकी जलधारा को मूल रूप से ‘बान गंगा’ कहा जाता है। यह जलधारा पाकिस्तान के सिंध प्रांत को भारत के गुजरात से अलग करती हुई अरब सागर में गिरती है। यह क्षेत्र एशिया के सबसे बड़े मछली उत्पादन क्षेत्रों में से एक है। इसकी सीमा तय न होने के कारण कई बार भारतीय मछुवारे पाकिस्तानी सीमा में चले जाते हैं, जहां उन्हें पाकिस्तानी नौसेना के जवान पकड़ लेते हैं। क्रीक क्षेत्र दुर्गम क्षेत्र है और वहां का मौसम भी बहुत प्रतिकूल है। वहां जहरीले सांप और बिच्छू मिलते हैं। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि बीएसएफ जवानों को गश्त के दौरान नंगे पैर चलना पड़ता है क्योंकि गीले इलाके में जूते पहनकर नहीं चला जा सकता। जानें सर क्रीक विवाद क्या है?दोनों देशों के बीच इसे लेकर विवाद की शुरुवात 1960 के दशक में हुई। सर क्रीक विवाद को भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर और सियाचिन जैसे सीमा विवाद के तौर पर देखा जाता है। सरक्रीक भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित पानी की एक 96 किलोमीटर लंबी पट्टी है, जो भारतीय राज्य गुजरात और पाकिस्तान के राज्य सिंध के बीच स्थित है। सर क्रीक पानी के कटाव के कारण बना है और यहां ज्वार-भाटे के कारण यह तय नहीं हो पाता है कि इसका कितना हिस्सा पानी में रहेगा और कितना पानी के बाहर रहेगा। यह क्षेत्र तेल और गैस के विशाल भंडारण का भी स्रोत है। मगर सीमा निर्धारण न होने के कारण इनका दोहन नहीं हो पा रहा है। पाकिस्तान की ओर से पेश दावों के अनुसार, साल 1914 में तत्कालीन सिंध सरकार और कच्छ के राव महाराज के बीच हस्ताक्षरित ‘बंबई सरकार संकल्प’ के अनुसार पूरे क्रीक क्षेत्र पर उसी का अधिकार है। उधर भारत को आजादी मिलने से पहले यह क्रीक प्रांतीय क्षेत्र ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी का भाग था। साल 1947 में भारत की आजादी के बाद सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया, जबकि कच्छ भारत का ही हिस्सा रहा। बीएसएफ के जवानों के लिए स्थायी बंकर बना रहा है भारत भारत पहली बार गुजरात में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सर क्रीक और ‘हरामी नाला’ क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जवानों के लिए ‘स्थायी बंकर’ का निर्माण कर रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने क्षेत्र में पाकिस्तानी मछुआरों और मछली पकड़ने वाली नौकाओं की घुसपैठ के मद्देनजर, भुज सेक्टर के साथ इस इलाके में 8 बहुमंजिला बंकर सह निगरानी चौकियों के निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। सूत्रों ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच 4,050 वर्ग किमी में फैले दलदली सर क्रीक क्षेत्र में तीन टॉवरों का निर्माण हो रहा है वहीं केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) 900 वर्ग किमी में फैले ‘हरामी नाला’ क्षेत्र में पांच ऐसे ढांचों का निर्माण करेगा।लगेंगे 42 फुट ऊंचे होंगे बंकर और रडार उन्होंने कहा कि 42 फुट ऊंचे ऊर्ध्वाधर बंकरों में से प्रत्येक के शीर्ष तल में निगरानी उपकरणों और रडार के लिए जगह होगी ताकि क्षेत्र पर नजर रखी जा सके। अधिकारियों ने बताया कि बाकी दो मंजिलों में साजोसामान रखने की क्षममा के साथ 15 सशस्त्र बीएसएफ कर्मियों के लिए स्थान होगा। ये बंकर क्रीक क्षेत्र के पूर्वी हिस्से में भारतीय भूभाग पर बनाए जा रहे हैं। बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सर क्रीक क्षेत्र में तीन बंकरों के निर्माण को मार्च तक पूरा करने के लिए काम कर रहे श्रमिकों को बल की एक टुकड़ी सुरक्षा प्रदान कर रही है।