क्या है शैडो बैंकिंग, जिसकी वजह से डूब रहा है चीन का ये सेक्टर, बढ़ी जिनपिंग की बेचैनी

नई दिल्ली: चीन की गिरती इकॉनमी इन दिनों दुनियाभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। वर्ल्ड की दूसरी इकॉनमी लड़खड़ा रही है। अगर इसी तरह से गिरती रही तो दुनियाभर के देशों पर इसका असर पड़ेगा। चीन की खस्ताहालत के पीछे बड़ी वजह, वहां के रियल एस्टेट सेक्टर में मची भगदड़ है। में वहां के रियल एस्टेट की हिस्सेदारी एक चौथाई की है। भारी कर्ज के बोझ तले दबी चीन की रियल एस्टेट कंपनियां दम तोड़ रही है। चीन में मचे भूचाल के बीच शैडो बैंकिंग ( Shadow Banking) टर्म चर्चा में आया है। आइए समझते हैं कि आखिर ये शैडो बैंकिंग है क्या और कैसे ये चीन की इकॉनमी पर असर डाल रहा है ? क्या है शैडो बैंकिंग ? चीन के रियल एस्टेट मार्केट को एक बार फिर से शैडो बैंकिंग ने हिलाकर रख दिया है। आगे बढ़े उससे पहले समझ लेते हैं कि आखिर ये शैडो बैंकिंग है क्या? शैडो बैंकिंग ऐसी स्थिति को कहते हैं, जब गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान यानी की एनबीएफसी बैंकिंग सिस्टम से बाहर निकलकर मानचाही शर्तों पर लोन देना शुरू कर देते हैं। आसान भाषा में समझे को ज्यादा रेगुलेशंस के साथ फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम के बाहर दी जाने वाली फाइनेंशियल सर्विसेज शैडो बैंकिंग कहलाती है। सबसे पहले इस टर्म को साल 2007 में अमेरिका में इस्तेमाल किया गया था। शैडो बैंक इस्टीट्यूशन्स आसान शर्तों पर कंपनियों को लोन दे देते हैं। जिसकी वजह से लोन पर रिस्क बढ़ जाता है । शैडो बैंकिंग से लोन पर रिस्क परसेंटेज उसे खतरनाक स्थिति में ला लेता है और इसका असर सीधे इकॉनमी पर होता है। नॉर्मल बैंकिंग सिस्टम से बाहर जा चुके पैसों को वापस से सेंट्रल बैंकिंग सिस्टम में लाना मुश्किल हो जाता है। लोन भुगतान की अचानक बढ़ी मांग से इकॉनमी प्रभावित होती है। कंपनियों पर दबाब बढ़ता है, और कर्ज न चुकाने की स्थिति में कंपनियां दिवालिया तक हो जाती हैं। चीन की दो बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों के साथ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। चीन की इकॉनमी पर असर पिछले एक दशक से चीन में शैडो बैंकिंग में विस्फोटक वृद्धि दर्ज की गई है । चीन का रियल एस्टेट सेक्टर शैडो बैंकिंग से प्रभावित दिख रहा है। चीन का प्रॉपर्टी मार्केट उनकी इकॉनमी का एक-चौथाई हिस्सा है, जो फिलहाल शैडो बैंकिंग से प्रभावित दिख रहा है। रियल एस्टेट कंपनियों ने स्थानीय सरकारों से जमीन खरीदी थी। इससे जहां एक ओर रियल एस्टेट कंपनियों को रेवेन्यू जेनरेट करने में मदद मिली तो वहीं सरकार को खास क्षेत्र के विकास में मदद मिली। पिछले 20 सालों में चीन में रियल एस्टटे सेक्टर की कीमतें आसमान छू रही हैं। लोगों में जमीन खरीदने की होड़ लगी रही। इस दौरान लोन लेने की लिमिट को दरकिनार करते हुए रियल एस्टेट कंपनियों ने शैडो बैंकिंग का सहारा लिया। मनमाने तरीके से लोन बांटे गए। अब इसका असर चीन के रियल एस्टेट सेक्टर पर दिख रहा है। कर्ज के बोझ तले दबती चली गई कंपनियां शैडो बैंकिंग पर चीन की सरकार के हालिया प्रतिबंधों ने रियल एस्टेट डेवलपर्स को लोन चुकाने के लिए फाइनेंस के अन्य सोर्सेज का रुख करने पर मजबूर कर दिया। रियल एस्टेट कंपनियों पर बोझ बढ़ता चला गया। घर बिक नहीं रहे हैं और कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। चीन की बड़ी रियल एस्टेट कंपनियां एवरग्रांडे और कंट्री गार्डन लोन चुकाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। चीन की रियल स्टेट की दिग्गज कंपनी कंट्री गार्डन को पहले छह महीने में 7.6 अरब डॉलर तक की भारी-भरकम का नुकसान उठाना पड़ा। चीन के लोगों खर्च करने के बजाए पैसा बचाने में जुटे है, इसलिए वहां घरों की बिक्री नहीं हो रही है। न तो घर बिक रहे हैं और न ही कंपनियों के पास कैश बचा है। ऐसे में चीन का रियल एस्टेट सेक्टर फिसलता जा रहा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक चीन का गिरता प्रॉपर्टी मार्केट सिर्फ चीन पर असर नहीं डालेगा, बल्कि ये गिरावट ग्लोबल इकॉनमी के ग्रोथ पर भी प्रभाव डालेगा।