ट्रेन में साथी और 3 यात्रियों को भूनने वाले आरपीएफ कॉन्‍स्‍टेबल को है मतिभ्रम की बीमारी!

नई दिल्ली: जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस सोमवार को अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठी थी। आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह ने अपने सीनियर के साथ तीन पैसैंजरों को मौत के घाट उतार दिया। बताया जाता है कि चेतन सिंह ‘असामान्य मतिभ्रम’ यानी हैल्‍यूसिनेशन का शिकार है। लंबे समय से उसका इलाज चल रहा था।

चेतन अवसाद से घिरा हुआ था। क्‍या कोई हैल्‍यूसिनेशन में अपराध की इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकता है? क्‍या होता है हैल्‍यूसिनेशन? क्‍या यह लाइलाज है? आइए, यहां इसके बारे में जानते हैं।हैल्‍यूसिनेशन या मतिभ्रम इंद्रियों से जुड़ी वस्तुओं या घटनाओं की गलत धारणा है। यह भ्रम दृष्टि, ध्वनि, गंध, स्पर्श और स्वाद को लेकर हो सकता है। हैल्‍यूसिनेशन वास्तविक लगता है। लेकिन, ऐसा होता नहीं है। दिमाग में केमिकल रिऐक्‍शन या असामान्यताएं हैल्‍यूसिनेशन का कारण बनती हैं।

मनोचिकित्‍सक डॉ प्रीति शुक्‍ला इसे समझाते हुए कहती हैं कि यह किसी चीज को वास्‍तविक बना लेने जैसा है जो असल में है नहीं। उदाहरण के लिए बहुत लोग देवी-देवता देखने की बातें करते हैं। कुछ लोगों को गुजरने के बाद अपना कोई बहुत सगा दिखाई पड़ता है। ऐसा बहुत सोच लेने के कारण होता है। उस व्‍यक्ति को वे चीजें साफ दिखती हैं जो होती नहीं हैं। यही मतिभ्रम या हैल्‍यूसिनेशन है। यह मनोविकृति से जुड़ा विकार है। विशेष रूप से यह सिजोफ्रेनिया का लक्षण होता है। नशा करने वालों के साथ भी ऐसा हो जाता है।

जब कोई व्यक्ति सोचता है कि उसका हैल्‍यूसिनेशन रियल है तो इसे मनोवैज्ञानिक लक्षण माना जाता है। हैल्‍यूसिनेशन कई तरह के हो सकते हैं। अक्‍सर ये इंद्रियों से जुड़े होते हैं। देखने, सुनने से लेकर स्‍पर्श और गंध तक इसका दायरा हो सकता है।

हैल्‍यूसिनेशन एक धारणा है जो सेंसरी इनपुट पर आधारित नहीं है। वहीं, भ्रम यानी इल्‍यूजन सेंसरी इनपुट की गलत व्याख्या है। दूसरे शब्दों में मतिभ्रम में कुछ ऐसा अनुभव करना शामिल होता है जो अस्तित्व में नहीं है। भ्रम तब होता है जब आप अपने परिवेश में किसी वास्तविक चीज की गलत व्याख्या कर लेते हैं। उदाहरण के लिए आप खिड़की पर रखे काले बैग को काली बिल्ली समझने की भूल कर सकते हैं। जांच करने पर आपको पता चलता है कि यह एक बैग है, बिल्ली नहीं। यह भ्रम है।

डॉ प्रीति शुक्‍ला कहती हैं कि हैल्‍यूसिनेशन और भांग के नशे में अंतर है। भांग के नशे को मतिभ्रम नहीं कह सकते हैं। भाग के नशे में दिमाग कुछ समय के लिए एक खास तरह की अवस्‍था में फंस जाता है। यही कारण होता है कि लोग हंसते हैं तो हंसते ही रहते हैं। रोते हैं तो रोते ही रहते हैं। नशा उतरते ही लोग दोबारा अपनी पहले की स्थिति में आ जाते हैं। हैल्‍यूसिनेशन वैसा नहीं है। यह मेंटल डिस्‍ऑर्डर है।